करवा चौथ 2017 चाँद समय: जानिए कब निकलेगा चांद, क्‍या है मुहूर्त और पूजा विधि

देश में 8 अक्टूबर (रविवार) को बड़ी धूम-धाम से करवा चौथ का त्योहार मनाया जा रहा है। सुबह से शादीशुदा महिलाएं सजधज कर पूजा कि तैयारियों में जुट गई हैं। करवा चौथ को करक चतुर्थी के रूप में भी जाना जाता है। करवा या करक का मतलब होता है एक मिट्टी के बर्तन का उपयोग जिसमें एक महिला चंद्रमा को अरघ्य (भेंट) देती है। हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक यह त्यौहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। रविवार को करवा चौथ की पूजा करने का कुल

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करवा चौथ 2017 पूजा और व्रत विधि: जानें किस पूजा विधि को अपनाकर किया जा सकता है करवा माता को प्रसन्न

करवा चौथ का व्रत केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही करने का अधिकार है, इसलिए जिनके पति जीवित हाेते हैं, केवल वे स्त्रियां ही ये व्रत करती हैं। हिंदू धर्म में करवा चौथ नारी के जीवन का सबसे अहम दिन होता है जिसे भारतीय सुहागिन स्त्रियाँ एक पर्व के रूप में मनाती हैं व पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखकर व चंद्रमा की पूजा-अर्चना करती हैं, तथा भगवान चंद्रमा से अपने पति की लम्‍बी अायु का वरदान मांगती हैं। स्त्रियों के लिए यह व्रत सुबह ब्रह्ममुहूर्त से शुरू होकर रात्रि

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करवा चौथ की कहानी: जानिए किस तरह से रानी वीरावती ने की थी अपने पति की रक्षा

करवाचौथ हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक माह के चौथे दिन होता है। पंरपराओं के अनुसार इस दिन शादीशुदा महिलाएं या जिनकी शादी होने वाली हैं वो अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं। ये व्रत सुबह सूरज उगने से पहले से लेकर और रात्रि में चंद्रमा निकलने तक रहता है। ये एकदिवसीय त्योहार अधिकतर उत्तरी भारत के राज्यों में मनाया जाता है। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, राज्यस्थान और उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सिर्फ पति की लंबी आयु की ही नहीं

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करवा चौथ 2017: जानिए क्या है भारत में करवाचौथ मनाने का महत्तव, कई हैं पौराणिक कथाएं

Karwa Chauth 2017: करवाचौथ हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक माह के चौथे दिन होता है। पंरपराओं के अनुसार इस दिन शादीशुदा महिलाएं या जिनकी शादी होने वाली हैं वो अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं। ये व्रत सुबह सूरज उगने से पहले से लेकर और रात्रि में चंद्रमा निकलने तक रहता है। ये एकदिवसीय त्योहार अधिकतर उत्तरी भारत के राज्यों में मनाया जाता है। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, राज्यस्थान और उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सिर्फ पति की लंबी आयु

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शरद पूर्णिमा 2017: आज रात भारत में दिखेगा पूरा चंद्रमा, जानें समय और क्या होगा प्रभाव

शरद पूर्णिमा हिंदू पंचाग के अनुसार सभी पूर्णिमाओं में सबसे महत्वपूर्ण होती है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं के साथ निकलता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन अगर अनुष्ठान किया जाए तो यह अवश्य सफल होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था। इस दिन चन्द्रमा कि किरणों से अमृत वर्षा होती है। इसी कारण इस दिन खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखकर अगले दिन प्रात:काल में खाने का विधि-विधान है। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा

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Happy Valmiki Jayanti: अपने प्रियजनों को इन आकर्षक व्हॉट्सऐप और फेसबुक Photos के जरिए दें बधाई

Happy Valmiki Jayanti 2017 Wishes: पूरे भारतवर्ष में वाल्मीकि जयंती श्रद्धा-भक्ति एवं हर्षोल्लास से मनाई जाती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की शरद पूर्णिमा की तिथि पर महर्षि वाल्मीकि का जन्मदिवस ‘वाल्मीकि जयंती’ के नाम से मनाया जाता है। वर्ष 2017 में वाल्मीकि जयंती 5 अक्टूबर को मनाई जाएगी। वैदिक काल के प्रसिद्ध महर्षि वाल्मीकि ‘रामायण’ के रचयिता के रूप में विश्व विख्यात है। महर्षि वाल्मीकि संस्कृत भाषा में निपुण और महान कवि थे। महर्षि वाल्मीकि का जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण और उनकी

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Valmiki Jayanti 2017: जानिए कौन थे महर्षि वाल्मीकि और किस कारण से मनाई जाती है उनकी जयंती

अश्विन मास की शरद पूर्णिमा को महर्षि वाल्मीकि का जन्मदिवस (वाल्मीकि जयंती) मनाया जाता है। इस साल वाल्मीकि जयंती अंग्रेजी महीनों के हिसाब से पांच अक्टूबर को होगी। वैदिक काल के प्रसिद्ध महर्षि वाल्मीकि ‘रामायण’ महाकाव्य के रचयिता के रूप में विश्व विख्यात है। महर्षि वाल्मीकि को न केवल संस्कृत बल्कि समस्त भाषाओं के महानतम कवियों में शुमार किया जाता है। महर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार उनका जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी

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उत्तरप्रदेश के शिवपातालेश्वर मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है झाडू, शिव करते हैं त्वचा रोग दूर

शिव को देवों के देव कहते हैं। इन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। शिव हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। भगवान शिव पर बेलपत्र और धतूरे का चढ़ावा तो आपने सुना होगा, लेकिन उत्तरप्रदेश के एक शिव मंदिर में भक्त उनकी आराधना झाडू चढ़ाकर करते हैं। हालांकि ऐसी प्रथा अविश्वसनीय प्रतीत होती है पर मुरादाबाद जिले के बीहाजोई गांव के प्राचीन शिवपातालेश्वर मंदिर (शिव का मंदिर) में श्रद्धालु अपने त्वचा संबंधी रोगों से छुटकारा

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कलयुग में भगवान आते हैं यहां रास रचाने, अगर देख ली लीला तो जा सकते हैं प्राण

वृन्दावन एक ऐसी जगह है जहां कोई भी जाकर मंत्र-मुग्ध हो जाता है। वहां के मंदिर किसी में भी भक्ति की भावना को जागृत कर देते हैं। लेकिन वृंदावन में एक वन जहां आज भी रात्रि में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है। यदि कोई रात में यहां रुक जाए तो उसकी मृत्यु हो जाती है। इससे एक मान्यता जुड़ी हुई है कि इस कलयुग के काल में भी भगवान कृष्ण और राधा यहां आकर रास रचाते हैं। यहां अनेकों वृक्ष हैं जो रात में गोपियों का रुप

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जानिए, गांधारी के 100 नहीं 102 थीं संतानें, गुस्से में पेट पर मुक्का मार गिरा दिया था गर्भ

गांधारी एक न्यायप्रिय महिला थी, लेकिन जब वो शादी होकर हस्तिनापुर आई थी तब वो जानती नहीं थी की उनके पति धृतराष्ट्र देखने में असमर्थ हैं। इसके पश्चात गांधारी को वेद व्यास द्वारा सौ पुत्रों का वरदान प्राप्त हुआ। महाभारत के काल में वरदान के द्वारा सब कुछ संभव था तो गांधारी ने वेद व्यास जी से पुत्रवती होने का वरदान प्राप्त कर लिया। गर्भ धारण के पश्चात दो वर्ष व्यतीत हो जाने पर भी जब पुत्र का जन्म नहीं हुआ तो गुस्से में गांधारी ने अपने पेट पर मुक्का

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मुहर्रम 2017: शिया मुस्लिम समुदाय के लोग क्यों मनाते हैं मुहर्रम वाले दिन शोक

मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर के पहले माह के 10 वें दिन होती है। मुहर्रम इस्लाम के प्रमुख चार महीनों में से एक है और इसे रमजान के बाद दूसरा पवित्र महीना माना गया है। इस साल मुहर्रम 1 अक्टूबर को है और इस दिन को शोक दिवस के रुप में मनाया जाता है। ये दिन मोहम्मद पैगम्बर के नवासी इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है। यह कोई त्योहार नहीं बल्कि मातम का दिन है। इमाम हुसैन अल्लाह के रसूल पैगंबर मोहम्मद के नाती थे। यह हिजरी संवत

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