संपत्ति के विवाद में जान पर खेल रहे ये हरिद्वार के साधु

हरिद्वार: उत्तराखंड में कई साधु-संतों की बेहिसाब संपत्तियों को लेकर आपसी विवाद, कोर्ट-कचहरी में मुकदमों का झगड़ा-झंझट कई दशकों से चलता आ रहा था परंतु संपत्तियों को लेकर जब विवाद अपहरण और हत्या तक पहुँचे तो हमे सोचने की ज़रूरत होती है

संपत्ति विवाद को लेकर पिछले दो दशकों में एक दर्जन से ज्यादा साधुओं की हत्याएं और अपहरण हो चुके हैं। इन झगड़ों में लापता हुए कई साधुओं का अब तक कुछ भी अता-पता नहीं चल पाया है।

बड़ा अखाड़ा के कोठारी और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता महंत मोहनदास का अभी तक पता नहीं चल पाया है। महंत के लापता होने को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने जबरदस्त आंदोलन भी चलाया था। राज्य सरकार ने महंत मोहनदास की खोज के लिए विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन भी किया, परंतु उत्तराखंड पुलिस महंत मोहनदास को तीन महीने बाद भी खोजने में सफल नहीं हो पाई।

उत्तराखंड के अपर पुलिस महानिदेशक (अपराध एवं कानून व्यवस्था) अशोक कुमार का कहना है कि महंत मोहनदास को ढूंढने के लिए पुलिस ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। एसआइटी ने महंत मोहनदास के पूरे देश के विभिन्न प्रांतों में स्थित तकरीबन डेढ़ दर्जन से ज्यादा ठिकानों पर उनकी खोजबीन की। परंतु पुलिस को लापता महंत को खोजने में कामयाबी नहीं मिल पाई। पुलिस महंत के कई निकटवर्ती सूत्रों तक तो पहुंची, परंतु वे कहां हैं अभी तक यह सुराग नहीं मिल पाया है। पुलिस का मानना है कि महंत मोहनदास योजनाबद्ध तरीके से लापता हुए हैं।

महंत मोहनदास के लापता होने के पीछे संपत्ति विवाद भी बताया जा रहा है। अखाडेÞ के कोठारी पद का कामकाज देखने के अलावा उनके कई प्रॉपर्टी डीलरों और भवन निर्माताओं से व्यापारिक रिश्ते भी थे। उनका करोड़ों रुपए कई बिल्डरों के साथ जमीन-जायदाद के धंधे में लगे हुए थे। कांग्रेस के एक नेता की बदौलत मोहनदास देखते ही देखते उत्तराखंड के एक बड़े प्रापर्टी डीलर बन गए। श्री पंचायती उदासीन बड़ा अखाड़ा के श्रीमहंत स्वामी महेश्वरदास का कहना है कि महंत मोहनदास अखाडेÞ के कामकाज के अलावा निजी स्तर पर कई प्रॉपर्टी डीलरों के साथ प्रॉपर्टी का धंधा भी करते थे। इसलिए महंत मोहनदास के लापता होने में प्रॉपर्टी डीलरों का भी हाथ होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
करोड़ों रुपये की जमीन-जायदाद को लेकर श्री निर्मल पंचायती अखाड़े के साधुओं के बीच जबरदस्त विवाद चल रहा है।

अखाड़े के श्रीमहंत स्वामी ज्ञानदेव सिंह वेदांताचार्य महाराज ने अपने अखाडे़ के ही सचिव महंत बलवंत सिंह को अखाड़े की संपत्तियों को खुर्द-बुर्द करने के आरोप में सचिव पद से बर्खास्त कर दिया है। जो मामला अदालत में चल रहा है अखाडे़ के श्रीमहंत का कहना है कि महंत बलवंत सिंह ने सचिव पद का दुरुपयोग करते हुए अखाड़े की करोड़ों रुपए की संपत्ति को प्रॉपटी डीलरों के हवाले कर दिया और इस जमीन पर संत निवास के नाम पर प्रॉपर्टी डीलरों ने बडे़-बडे़ अपार्टमेंट अवैध रूप से खडेÞ कर दिए। हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण इन अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई भी नहीं कर रहा है।

पांच साल पहले हरिद्वार में श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाडे़ के महंत सुधीर गिरि की अखाडे़ के ही एक पूर्व कर्मचारी और प्रॉपर्टी डीलर के निशानेबाजों ने गोलियां मारकर हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड की साजिश में शामिल अखाडे़ का पूर्व मुंशी और प्रॉपटी डीलर आशीष शर्मा उर्फ टुल्ली उत्तरप्रदेश के कुख्यात माफिया सुनील राठी से संबंध रखने के कारण आजकल जेल में बंद है। उत्तराखंड में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं, प्रॉपर्टी डीलरों और साधुओं का गठजोड़ बना हुआ है।

प्रॉपर्टी डीलरों ने अखाड़ों, आश्रमों की करोड़ों रुपए जमीन में संत निवास के नाम पर बडे-बडे़ अपार्टमेंट खडे़ कर दिए हैं। साधुओं, प्रॉपर्टी डीलरों और नेताओं का गठजोड़ कई अरब रुपए का धंधा अपार्टमेंट के नाम पर कर रहा है। यह धंधा साधुओं की हत्या का मुख्य कारण बना हुआ है। जहां एक ओर साधु-संत अपने भक्तों को मोह माया से दूर रहने का उपदेश देते हैं, वहीं वे धन-संपत्ति के धंधे में खुद ही लगे हुए हैं। विलासी कारों में घूमना, महंगे-महंगे मोबाइल खरीदना, हीरे और सोने की मालाएं और अंगूठियां पहनना इन साधुओं का सबसे बड़ा शौक है।

1991 से उत्तराखंड में संपत्तियों को लेकर साधुओं की हत्याओं का जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह अब तक नहीं रुका है।

1991: 25 अक्तूबर को रामायण सत्संग भवन के महंत राघवाचार्य की स्कूटर सवार अज्ञात बदमाशों ने गोली मारकर हत्या की थी।

1993: 9 दिसंबर को रामायण सत्संग भवन के ही महंत रंगाचार्य की अज्ञात बदमाशों ने ज्वालापुर में गोली मारकर हत्या कर दी थी।

2000: 1 फरवरी को मोक्ष धाम खड़खड़ी हरिद्वार के ट्रस्टी रमेश की आश्रम के ही स्वामी नागेन्द्र ब्रह्मचारी ने संपत्ति विवाद को लेकर हत्या करवा दी थी।

2000: दिसंबर महीने में चेतनदास कुटिया हरिद्वार में अमेरिकी साध्वी प्रेमानंद की संपत्ति विवाद को लेकर हत्या की गई।

2001: 5 अप्रैल को बंगाली बाबा सतेन्द्र स्वामी की संपत्ति विवाद को लेकर हत्या की गई।

2001: 16 जून को हरकी पैड़ी के सामने चंडी द्वीप में अज्ञात बदमाशों ने बाबा विष्णुगिरि समेत चार साधुओं की निर्ममता के साथ हत्या की गई।

2001: 26 जून को बाबा ब्रह्मानंद और पानपदेव कुटिया के बाबा ब्रह्मदास की दिनदहाडेÞ गोली मारकर हत्या कर दी गई।

2002: 17 अगस्त को बाबा हरियानंद, बाबा नरेंद्र दास और उनके एक चेले की हत्या की गई।

2003: 6 अगस्त से संगमपुरी आश्रम भूपतवाला के महंत प्रेमानंद उर्फ भोले बाबा गायब हैं। उनका आज तक कोई अता-पता नहीं चला है।

2004: 28 दिसंबर को कनखल के संत योगानंद की अज्ञात हत्यारों ने हत्या कर दी थी।

2006: 15 मई को पीली कोठी भूपतवाला के स्वामी अमृतानंद की करोड़ों रुपए की संपत्ति को लेकर हत्या की गई।

2006: 25 नवंबर को भूपतवाला हरिद्वार के इंडिया टेम्पल के महंत बाल स्वामी की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

2007: 18 जुलाई को योगगुरु स्वामी रामदेव के गुरू स्वामी शंकरदेव कनखल स्थित दिव्य योग मंदिर से गायब हुए थे।
उनका आज तक कोई अता-पता नहीं चला है।

2008: 8 फरवरी को निरंजनी अखाडेÞ के सात साधुओं को जहर देकर हत्या करने की साजिश रची गर्ई थी।

2008: 14 अप्रैल को श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के कारोबारी महंत सुधीर गिरि की रुड़की के बेलड़ा गांव में गोली मारकर हत्या की गई थी।

2012: 26 जून को हरिद्वार के लक्सर में हनुमान मंदिर के तीन महंतों की हत्या हुई।

2012: 6 सितंबर की रात हरिद्वार से मुंबई के लिए ट्रेन में रवाना हुए अखाड़ा परिषद के महंत मोहनदास रहस्यमय परिस्थितियों में गायब हो गए।

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