अखिलेश ने कहा कृष्ण के वंशज हैं हम, डिप्टी सीएम पाठक बोले शिशुपाल का वध तय है

अब कहानी भगवान कृष्ण बनाम शिशुपाल की हो गई है. संकेत से ही विरोधी को निपटाने की तैयारी है. बात शुरू हुई थी डीएनए से. फिर लड़ाई पूर्व सीएम अखिलेश यादव और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक में हुई. अखिलेश ने कहा हम यदुवंशी हैं और हमारा संबंध भगवान कृष्ण से है. ये बात कल रात की थी. सुबह हुई तो पाठक शिशुपाल का प्रसंग ले आए. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के लोग सुधर जायें वरना शिशुपाल वाला हाल होता रहेगा. कृष्ण और शिशुपाल रिश्ते में भाई थे. पर शिशुपाल का वध उनके ही हाथों हुआ. 

विवाद की शुरुआत कैसे हुई?

कल रात अखिलेश यादव ने ब्रजेश पाठक को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था. उन्होंने डिप्टी सीएम पाठक से कहा था कि जैसा बोयेंगे, वैसा ही तो काटेंगे. अखिलेश ने कहा कि उनके लोग आगे से मर्यादा का ध्यान रखेंगे. लेकिन उन्होंने पाठक से भी ऐसा ही करने को कहा. अपने पोस्ट में अखिलेश ने खुद को भगवान कृष्ण के वंश का बताया. अखिलेश यादव के जवाब में आज ब्रजेश पाठक ने लंबा सा पोस्ट किया है. उन्होंने अखिलेश और उनके समर्थकों पर नक़ली समाजवादी होने का आरोप लगाया. पाठक ने अखिलेश को अपने लोगों को पढ़ाने सिखाने की सलाह दी है. 

ब्रजेश पाठक ने क्या लिखा?

यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक अपने पोस्ट में लिखते हैं अखिलेशजी ! सपाइयों को लोहिया- जेपी  पढ़ाइए और पंडित जनेश्वर जी के भाषण सुनवाइए , ताकि इनके आचरण और उच्चारण में समाजवाद झलके. लोहिया की किताबें आपके पास न हो तो मैं उपलब्ध करवा सकता हूं. पाठक ने शिशुपाल का ज़िक्र करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के लोगों की यही नियति है. महाभारत में शिशुपाल की हत्या कर दी गई थी. उनका वध भगवान कृष्ण ने किया था. वासुदेव की बहन और छेदी के राजा दमघोष का पुत्र शिशुपाल था. इस नाते वह श्रीकृष्ण का भाई था. शिशुपाल का जन्म जब हुआ तो वह विचित्र था. जन्म के समय शिशुपाल की तीन आंख और चार हाथ थे.

 गुंडागर्दी तो समाजवादी पार्टी का डीएनए है:  ब्रजेश पाठक

महाभारत में प्रसंग हैं कि शिशुपाल का वध सौ ग़लतियां करने पर होगा. ऐसा ही हुआ. उसका वध भगवान कृष्ण के हाथों हुआ. डिप्टी सीएम पाठक कहते हैं कि समाजवादी पार्टी के लोगों की यही नियति है. यूपी में आठ सालों से बीजेपी की सरकार है. पाठक कहते हैं अखिलेश का पार्टी का यही हाल रहा तो बनवास लंबा चलेगा. पाठक बनाम अखिलेश के इस झगड़े की शुरूआत डीएनए को लेकर हुई थी. पाठक ने कहा था गुंडागर्दी तो समाजवादी पार्टी का डीएनए है. 

समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल ने ब्रजेश पाठक के डीएनए वाले बयान पर जवाब दिया. सोशल मीडिया में पोस्ट कर उनके बारे में अभद्र बातें लिखी. विवाद बढ़ा तो पोस्ट डिलीट कर दिया. समाजवादी पार्टी के लोग कन्फ़्यूज़न में रहे. पार्टी के प्रवक्ता उदयवीर सिंह ने कहा मीडिया सेल से पार्टी का कोई लेना देना नहीं. पर अखिलेश यादव ने ही उन्हें अपना मान लिया. उन्होंने कहा कि पाठक के कमेंट से उनके लोग अपना धैर्य खो बैठे. बीजेपी के लोग कुछ जगहों पर सड़क पर भी उतर गए हैं. पर सवाल ये है कि क्या राजनीति में विरोध के नाम पर सड़क छाप भाषा कहां तक उचित है?