अब बुर्के को लेकर दारूल उलूम का फतवा- ‘कसा और चमकदार बुर्का पहनना गुनाह, मर्द आकर्षित होते हैं’

फतवों की फेहरिस्त में दारुल उलूम ने एक और फतवा जारी किया है। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के दवबंद स्थित इस्लामिक शिक्षा देने वाली संस्था दारुल उलूम ने अब बुर्के पर फतवा जारी किया है। दारुल उलूम के इस्लामी जानकारों ने कहा है कि महिलाओं को चुस्त बुर्के नहीं पहनने चाहिए, क्योंकि इसमें शरीर के अंग दिखते हैं। दारुल उलूम के धार्मिक विद्वानों का कहना है कि महिलाओं का डिजाइनर और टाइट बुर्का पहनना इस्लाम में सख्त गुनाह और नाजायज है। देवबंद के एक मुस्लिम शख्स ने दारुल उलूम के इफ्ता विभाग से लिखित सवाल पूछा था कि मुस्लिम औरतों के लिए लिबास में शालीनता का पैमाना क्या होना चाहिए। इस शख्स ने पूछा था कि क्या औरतों के लिए वैसे कपड़े पहनने वाजिब हैं जिसमें उनके अंग जाहिर होते हों? इस शख्स ने यह भी कि क्या चमकदार बुर्के जिनकी वजह से पराये मर्दों की निगाह औरतों की ओर आकर्षित होती हो ऐसे कपड़े पहनने जायज हैं?

इसी सवाल के जवाब में दारुल उलूम देवबंद के मुफ्तियों ने यह जवाब दिया है। देवबंद के मुफ्तियों का यह भी कहना है कि औरत छिपाने की चीज है। अगर कोई औरत घर से बाहर निकलती है तो शैतान उसे घूरता है, इसलिए मुस्लिम महिलाओं को बिना जरूरत घर से बाहर निकलना नहीं चाहिए। फतवे के मुताबिक मुस्लिम महिलाएं घर से बाहर निकले तो उन्हें अपने शरीर को इस तरह ढकना चाहिए कि उनके अंग बाहर न दिखें। इसके अलावा उन्हें ढीले कपड़े पहनने चाहिए। मुफ्तियों के मुताबिक टाइट, डिजाइनर और चुस्त व तंग कपड़े या बुर्का पहनकर बाहर जाने से लोग ख्वातीनों की ओर आकर्षित होते हैं।

मुस्लिम महिला संगठनों ने देवबंद के इस फैसले का विरोध किया है, और कहा है कि यह सवाल गैर जरूरी वक्त पर पूछा गया है, और इस सवाल को पूछने वाले की मंशा पर सवाल उठता है। बता दें कि इससे पहले जब मुस्लिम लड़की आलिया खान ने गीता के श्लोक गाने में उत्तर प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया था तब भी दारुल उलूम ने इसे गैर इस्लामी बताया था।

 

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