अमरनाथ में बड़े हमले की तैयारी में थे पहलगाम के गुनहगार, ‘महादेव’ काल बन गए

एनडीटीवी को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी ने कश्मीर में एक बड़ी आतंकी साजिश का खुलासा किया है. खुफिया सूत्रों के हवाले से पता चला है कि ऑपरेशन महादेव में मारे गए पहलगाम हमले के गुनहगार अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाने की साजिश रच रहे थे. गांदरबल के जंगलों में छिपे इन आतंकियों का मॉड्यूल टेक्निकल सर्विलांस और खुफिया इनपुट के जरिए ट्रैक किया गया. गांदरबल, अमरनाथ यात्रियों का प्रमुख रास्ता होने के कारण संवेदनशील है.
इसके बाद 5 जुलाई से सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया. गांदरबल में आर्मी ,जम्मू कश्मीर पुलिस ,सीआरपीएफ और बीएसएफ ने मिलकर ऑपरेशन शुरू किया. आतंकियों की जंगलों में तलाश चलती रही. इस दौरान वे अपने ठिकाने बदलते रहे.
सुरक्षा बल भी उन्हें लगातार ट्रैक करते रहे. आखिरकार सुरक्षाबलों को 24 दिन बाद बड़ी सफलता मिली. टेक्निकल सर्विलांस और ह्यूमन इंटेलिजेंस के जरिए रविवार देर रात मुलनार गांव के पास महादेव के पहाड़ों में इनकी एक्टिविटी की जानकारी मिली.
सोमवार सुबह करीब 10 बजे आतंकियों को पहाड़ों में लोकेट कर लिया गया. ऑपरेशन महादेव इन आतंकियों के लिए काल बनकर आया. तीनों को मार गिराया गया. इनके पास मिले भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद भी इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि ये बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे.
विदेशी साजिश के मिले पुख्ता सबूत
श्रीनगर के डाछीगाम जंगलों के पास चलाए जा रहे आतंक विरोधी ऑपरेशन महादेव के दौरान सुरक्षा बलों को विदेशी साजिश के पुख्ता सबूत मिले हैं. मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों के कब्जे से जो हथियार बरामद हुए हैं, वे कई देशों से संबंधित हैं, जिससे इस नेटवर्क की अंतर्राष्ट्रीय साजिश के संकेत साफ तौर पर मिलते हैं.
भारी मात्रा में हथियार बरामद
रोमेनियन मॉडल 90 (AKMS) 7.62 मिमी यह AKM राइफल का एक अंडर-फोल्डिंग स्टॉक वाला वेरिएंट है, जिसका उपयोग दुनिया भर में कई नॉन स्टेट एक्टर्स द्वारा किया जाता है.
हाइब्रिड रशियन AKM 7.62 असॉल्ट राइफल कई हिस्सों से तैयार यह हथियार चलाने में लचीलापन देने के लिए कस्टमाइज किया होता है.
अमेरिकी M4 कमांडो (कोल्ट मॉडल 933, 5.56 मिमी, 1995 वेरिएंट) – यह शॉर्ट बैरल कारबाइन आमतौर पर नाटो बलों द्वारा इस्तेमाल की जाती है और भारत में इससे पहले केवल बड़े लेवल के ट्रेंड आतंकी ही इसका उपयोग करते पाए गए हैं.
इन हथियारों से ये पता चलता है कि आतंकियों को सीमापार से संगठित और रणनीतिक समर्थन प्राप्त था. विशेष रूप से अमेरिकी M4 कमांडो की मौजूदगी इस बात की आशंका को मजबूत करती है कि आतंकी संगठनों तक हथियारों की सप्लाई के लिए एक सुसंगठित क्रॉस-बॉर्डर लॉजिस्टिक चेन सक्रिय है.
सुरक्षा एजेंसियां अब इस बात की गहन जांच कर रही हैं कि ये हथियार कैसे और किन माध्यमों से भारत में दाखिल हुए और इसमें किन विदेशी नेटवर्क की भूमिका रही है. ऑपरेशन महादेव अभी भी जारी है और सुरक्षा बल पूरे इलाके में व्यापक तलाशी अभियान चला रहे हैं.
ऑपरेशन महादेव- कब-कब क्या-क्या हुआ
- पिछले 4 दिनों से आतंकवादी समूह पर नजर रखी जा रही थी.
- रात 2 बजे: समूह ने T82 अल्ट्रासेट कम्युनिकेशन डिवाइस को एक्टिव किया.
- इससे आतंकवादी दल की सटीक स्थिति का पता चला, पुष्टि हुई.
- सुबह 8 बजे: आतंकवादियों की पहली तस्वीर लेने के लिए ड्रोन लॉन्च किया गया.
- सुबह 9:30 बजे: राष्ट्रीय राइफल्स ने घेरा बनाया.
- सुबह 10 बजे: पैरा कमांडो दल महादेव पहाड़ी पर चढ़ा.
- सुबह 10:30 बजे: कमांडो द्वारा आतंकवादियों की पहचान की गई.
- सुबह 11 बजे: पहली गोलीबारी में सभी 3 आतंकवादी मारे गए.
- सुबह 11:45 बजे: 1 घायल आतंकवादी भागने की कोशिश में ढेर हो गया.
- दोपहर 12:30 बजे: 2 किलोमीटर के दायरे में क्लींजिंग ऑपरेशन लॉन्च किया गया.
- दोपहर 12:45 बजे: आतंकवादियों के शवों की पहचान की गई और उनकी तस्वीरें ली गईं.
पाकिस्तानी सेना में ली थी कमांडो ट्रेनिंग
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, हाशिम मूसा पाकिस्तानी सेना के स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) में पैरा कमांडो के रूप में ट्रेनिंग ले चुका था. उसके बाद उसने लश्कर-ए-तैयबा में शामिल होकर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देना शुरू किया. बताया जाता है कि उसने सितंबर 2023 में भारत में प्रवेश किया और फिर से दक्षिण कश्मीर में अपने आतंकवादी अभियान शुरू किए.
गांदरबल में 7 नागरिकों की हत्या का भी आरोपी
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए खूनी हमले में 26 लोग मारे गए थे. सुरक्षा एजेंसियों ने इस मामले में मुख्य आरोपी के रूप में हाशिम मूसा की पहचान की थी. एजेंसियों के मुताबिक, वो कम से कम छह आतंकी घटनाओं में शामिल रहा है. मूसा हाईली ट्रेंड आतंकी था, जिसे जंगलों में रहने और मुश्किल हालात सर्वाइव करने में महारथ हासिल थी.
हाशिम की अगुआई में इससे पहले अक्टूबर 2024 में हुए हमलों में गांदरबल में सात नागरिकों की हत्या और बारामूला में चार सुरक्षाकर्मियों की जान गई थी. एनडीटीवी ने पहलगाम हमले के बाद सबसे पहले लश्कर के कमांडर हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान के पूरे मॉड्यूल को लेकर बड़ा खुलासा किया था.