अमेठी: गांधी परिवार पर विकास को नजरअंदाज करने का आरोप लगाकर पूर्व MLA ने थामा BJP का हाथ

भाजपा वाराणसी की तर्ज पर अमेठी-रायबरेली पर फोकस करने की तैयारी में है। वाराणसी में उसका मकसद अपने नेता नरेंद्र मोदी को मजबूती देना है और अमेठी- रायबरेली में विपक्षी जड़ों को कमजोर करना। चालीस साल में पहली बार गांधी परिवार को उनके गढ़ में घेरने के लिए कोई गैर-कांग्रेसी पार्टी गंभीरता पूर्वक जुटी है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की अगुवाई में चलने वाले इस अभियान में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अमेठी में पार्टी का चेहरा हैं। रायबरेली को लेकर मंथन चल रहा है। मंत्रियों का एक समूह वहां के विकास कार्यों की खास तौर पर निगरानी करेगा। केंद्र के बाद यूपी में पार्टी की सरकार बन जाने से भाजपा के इस अभियान को गति मिली है।

स्मृति ईरानी ने प्रदेश में पार्टी की सरकार बनने के फौरन बाद इस बाबत मुख्यमंत्री से भेंट की थी। संघ भी इसमें दिलचस्पी दिखा रहा है। मंगलवार को अमेठी में पार्टी और सरकार की साझा ताकत राहुल गांधी को चुनौती देगी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ एक मंच पर होंगे। स्मृति ईरानी एक दिन पहले अमेठी पहुंच गईं हैं। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे सहित अन्य मंत्री और पार्टी के पदाधिकारियों की मौजूदगी 2019 की तैयारियों का संदेश देगी। मुख्यमंत्री योगी अमेठी के विकास-निर्माण से जुड़ी कई योजनाओं की शुरुआत और कुछ का लोकार्पण करेंगे। कई अन्य नई सौगातों की तैयारी है। वहीं अमेठी के गौरीगंज से विधायक रहे जंग बहादुर सिंह इस मौके पर बीजेपी का हाथ थामेंगे। जंग बहादुर के साथ उनके कई दर्जन समर्थक भी कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लेंगे। जंग बहादुर बीजेपी में जाने के अपने फैसले के पीछे गांधी पारिवार द्वार अमेठी के विकास को नजरअंदाज करने को बताते हैं।

इससे पहले मायावती ने अमेठी में गांधी परिवार को कमजोर करने की नाकाम कोशिश की थी। 2003 में उन्होंने अपने तब के मुख्यमंत्री काल में अमेठी को सुल्तानपुर-रायबरेली से काटकर अलग जिले का दांव चला था। जल्द ही उनकी सरकार चले जाने के बाद अगले मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने इस फैसले को पलट दिया था। 2010 में मायावती ने एक बार फिर अमेठी को अलग जिला बनाया। लेकिन अदालती मुकदमेबाजी में फंसी इस घोषणा के आखिरी फैसले तक मायावती फिर सत्ता से बाहर हो गईं। 2013 में अखिलेश सरकार ने अमेठी को अलग जिले की घोषणा पर मुहर लगाई। बुनियादी ढांचे के निर्माण के बिना राजनीतिक कारणों से वजूद में आया नया जिला अमेठी फिलहाल अपनी जरूरतों के लिए जूझ रहा है। अमेठी से गांधी परिवार को बेदखल करने की कोशिशों में लगी भाजपा के सामने अमेठी को कम समय में वह सब देने की चुनौती है जो पूर्ववर्ती नहीं दे सके।

2014 के लोकसभा चुनाव में अमेठी में शिकस्त के बाद भी भाजपा का हौसला बढ़ा। राहुल का अमेठी में यह तीसरा चुनाव काफी चुनौतीपूर्ण था। मोदी लहर के बीच स्मृति ईरानी ने सिर्फ पंद्रह दिन में ये हालात पैदा कर दिए कि राहुल को पहली बार मतदान के दिन अमेठी से एक-एक बूथ पर दौड़ लगानी पड़ी। 2009 की तुलना में उनकी बढ़त 3.70 लाख से सिकुड़ कर 1.07 लाख पर रह गई। स्मृति हारने के बाद भी केंद्र में मंत्री बन गईं। चुनाव में स्मृति ने हारने-जीतने पर भी हर हाल में अमेठी की बनकर रहने का वादा किया था। पार्टी की सत्ता ने उनका काम आसान किया। वे जल्दी-जल्दी और आम तौर पर राहुल के दौरों के फौरन बाद अमेठी आती हैं। अन्य मंत्रियों को साथ लाती हैं और अमेठी से दिल्ली तक राहुल की तुलना में अमेठी की ज्यादा भीड़ खींचती हैं। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव ने भाजपा की उम्मीदों को नए पंख दिए। अमेठी की पांच में चार विधानसभा सीटें भाजपा जीत गई। पांचवी सपा के खाते गई और कांग्रेस की स्लेट साफ हो गई।

फिलहाल लोकसभा में यूपी से कांग्रेस के केवल दो सदस्य हैं। रायबरेली से सोनिया गांधी और अमेठी से राहुल गांधी। विधानसभा में पार्टी के सिर्फ सात सदस्य हैं। मोदी-शाह की जोड़ी जिस कांग्रेस मुक्त अभियान पर है, उसमें अमेठी-रायबरेली की जीत कम से कम उत्तर प्रदेश में इस अभियान को एक बड़े पड़ाव पर पहुंचा सकती है। लेकिन भाजपा के लिए आगे सब कुछ आसान होगा, ऐसा नहीं कहा जा सकता।  इस बीच आरएसएस से जुड़े राजेश सिंह केशवपुर ने कहा कि अमित शाह की जनसभा को सफल बनाने के लिए आरएसएस और भाजपा एक साथ है। नगरपालिका गौरीगंज में व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजय अग्रवाल ने कहा कि स्मृति ईरानी और शाह की रैली में लाखों की भीड़ होगी। इसके लिए उनकी पूरी टीम जुटी है। भाजपा के आलोक सिंह ने कहा कि जनता से जुड़ी कई योजनाओं का शिलान्यास और भूमिभूजन होगा। विजय गुप्ता ने कहा कि ईरानी अमेठी की तस्वीर बदलने में जुटी हैं। इसलिए जनता उनके साथ निकल पड़ी है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *