अमेरिका के कब्जे के बाद कैसा होगा गाजा? अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने वीडियो शेयर कर दी जानकारी
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो पोस्ट किया है, जो तकनीकी रूप से दिलचस्प है लेकिन राजनीतिक रूप से विवादास्पद. दरअसल ये वीडियो AI जनरेटिव यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से तैयार किया गया है जिसमें जंग से तबाह गाजा को एक रिसॉर्ट जैसा दिखाया गया है…सोने से बनी डोनाल्ड ट्रंप की बड़ी मूर्ती..सड़क पर दौड़ती टेस्ला की कारें..उंची इमारतें और डॉलर की बारिश..ये वीडियो किसी सपने से कम नहीं..
वीडियो में इसके बाद लाल, सफेद और नीले रंग में ‘व्हाट्स नेक्स्ट?’ लिखा दिखता है..बैकग्राउंड में एक गाना है जिसमें कहा जा रहा है कि अब कोई सुरंगें नहीं, अब कोई डर नहीं, ट्रंप गाजा अब यहां है. आगे वीडियो में गगनचुंबी इमारतें…सड़कों पर दौड़ती कार..अरबपति एलन मस्क जो अपना खाना इन्जॉय कर रहे हैं..बेल्ली डांसर, खूबसूरत बीच और एक बच्चा जो ट्रंप के सिर के आकार का सुनहरा गुब्बारा पकड़े हुए है.
आगे वीडियो में डांस करते ट्रंप और समुद्र तट पर अमेरिकी डॉलर की बारिश के नीचे डांस करते एलन मस्क…ट्रंप की सोने की मूर्ती..वीडियो के आखिर में ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को बीच पर आराम करते और ड्रिंक पीते हुए दिखाया गया है..बैकग्राउंड म्युजिक है – नो मोर टनल्स, नो मोर फियर, ट्रंप गाजा इज फाइनली हियर..ट्रंप के अनुसार गाजा को अब एक नया रूप दिया जाएगा, जिसमें डर और आतंक का अंत होगा और गाजा खूबसूरत रिसॉर्ट बन जाएगा. लेकिन ट्रंप के ये विजन विवादों में भी है.
क्या है ट्रंप की योजना?
ट्रंप की योजना के तहत गाजा के निवासियों को अन्य देशों में स्थानांतरित किया जाएगा यानी गाजा से करीब 2 मिलियन फिलिस्तीनी नागरिकों को बाहर निकालने का प्रस्ताव रखा है और इसे एक “रिविएरा” में बदलने का सुझाव दिया है. ये AI वीडियो जहां एक तरफ ट्रंप के समर्थकों के बीच एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और फिलिस्तीनी प्राधिकरण द्वारा कड़ी आलोचना का शिकार हो रहा है.
दुनिया की प्रतिक्रिया
वीडियो को लेकर अमेरिकी मीडिया और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. सोशल मीडिया में जहां कुछ लोग इसे ट्रंप के राजनीतिक दृष्टिकोण के रूप में देख रहे हैं, वहीं कुछ इसे एक असंवेदनशील और विवादास्पद कदम मान रहे हैं. फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने इसे “अंतर्राष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन” बताया है.