अमेरिका के नए कानून से खतरे में भारतीय कॉल सेंटरों की नौकरियां

अमेरिकी संसद में हाल ही में एक ऐसा कानून पेश किया गया है, जो अगर पास हो जाता है तो इससे देश में कॉल सेंटर नौकरियों पर खतरा मंडरा सकता है। दरअसल इस कानून के अनुसार, कॉल सेंटर कर्मियों को अब अमेरिकी ग्राहकों को अपनी लोकेशन बतानी होगी, साथ ही अगर ग्राहक चाहे तो उसकी कॉल को यूएस में स्थित सर्विस एजेंट को ट्रांसफर करना होगा। यह नया कानून अमेरिका के ओहियो प्रांत के सीनेटर शेरड ब्राउन ने संसद में पेश किया। इस नए कानून में यह भी प्रावधान किया गया है कि कॉल सेंटर जॉब्स को आउटसोर्स करने वाली कंपनियों की लिस्ट सार्वजनिक की जाएगी और जो कंपनियां जॉब्स आउटसोर्स नहीं करती हैं, उन्हें फेडरल कॉन्ट्रैक्ट्स में तरजीह दी जाएगी।

सीनेटर शेरड ब्राउन ने अमेरिकी संसद में यह कानून पेश करते हुए कहा कि कॉल सेंटर की जॉब्स काफी कमजोर होती हैं। बहुत सारी कंपनियों ने ओहियो समेत पूरे अमेरिका से अपने कॉल सेंटर बंद करके भारत और मैक्सिको जैसे देशों में खोल लिए हैं। उन्होंने कहा कि यूएस ट्रेड एंड टैक्स पॉलिसी ने कॉरपोरेट बिजनेस मॉडल को बढ़ावा दिया है, जिससे कंपनियां अमेरिका के बजाए विदेशों से कॉल सेंटर नौकरियां आउटसोर्स कर रही हैं। ब्राउन ने अमेरिका की एक कर्मचारी का जिक्र करते हुए कहा कि कॉल सेंटर जॉब्स के आउटसोर्स होने के कारण यहां के कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है। ऐसे में हमें जरुरत है कि हम अपने कर्मचारियों के योगदान को अहमियत दे ना कि उनकी नौकरी खत्म कर जॉब्स विदेशों में भेज दें।

अमेरिका की सबसे बड़ी कम्यूनिकेशन और मीडिया लेबर यूनियन कम्यूनिकेशन वर्कर ऑफ अमेरिका की एक स्टडी के अनुसार, अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत और फिलिपींस कॉल सेंटर जॉब्स आउटसोर्स के लिए सबसे पसंदीदा जगह हैं। अब तो अमेरिकी कंपनियां इजिप्ट, सऊदी अरब, चाइना और मैक्सिको में भी अपने कॉल सेंटर खोल रही हैं। नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर और सर्विस कंपनीज के अनुसार, बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट इंडस्ट्री के मामले में भारत वर्ल्ड लीडर है और इससे भारत को सालाना करीब 28 बिलियन डॉलर की कमाई होती है। भारत की आर्थिक तरक्की में भी कॉल सेंटर इंडस्ट्री का अहम रोल रहा है।

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