अयोध्या में ही बनेगा राम मंदिर, नहीं रोक सकती दुनिया की कोई ताकत: विनय कटियार
भाजपा के राज्यसभा सांसद विनय कटियार ने कहा है कि रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में वह उच्चतम न्यायालय के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि कुछ भी हो, राम मंदिर उसी स्थान पर बनेगा, जहां रामलला विराजमान हैं। उसे दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती। कटियार ने रविवार शाम यहां संवाददाता सम्मेलन में राम मंदिर के सवाल पर कहा कि मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। हम कोर्ट के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन मैं इतना जरूर कहना चाहूंगा कि कुछ भी हो जाए, हर हालत में राम मंदिर वहीं बनेगा।
उन्होंने कहा कि जहां भगवान स्थापित हैं वह वहीं विराजमान रहेंगे। वह भूमि भगवान राम की है और कोई ताकत वहां मंदिर बनने से नहीं रोक सकती। कटियार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ मिलकर देश और प्रदेश के लिए सजगता से काम कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के संबंध में वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा कोई संपर्क नहीं किए जाने से क्षुब्ध प्रतीत हो रहे गोवर्धनमठ पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती ने हाल ही में कहा कि प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर उनसे कभी कोई विचार-विमर्श नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में यह सरकार मंदिर निर्माण के संबंध में भविष्य में क्या रुख लेगी, यह कह पाना संभव नहीं। वे यहां वृन्दावन स्थित हरिहर आश्रम में संवाददाताओं से मुखातिब थे। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिंह राव व अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में उनसे की गई वार्ताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि राव ने तो उनसे सीधे-सीधे चर्चा की थी जबकि वाजपेयी ने मंदिर निर्माण विषय पर एक दूत के माध्यम से उनका विचार जानने का प्रयास किया था।
उन्होंने कहा, “लेकिन भाजपा नीत वर्तमान सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से पिछले चार साल के कार्यकाल में कभी ऐसी पहल करने में किसी ने कोई रुचि नहीं दिखाई। न ही इस संबंध में प्रधानमंत्री ने अपने विचार सामने रखे।” शंकराचार्य ने बताया, “जहां तक मनमोहन सिंह के समय की बात है, तो उस समय राम मंदिर निर्माण की कोई बात ही नहीं थी। परन्तु अयोध्या में राम मंदिर स्थापना की वकालत करने वाली भाजपा के राज में साधु-संतों से चर्चा भी नहीं करना कुछ अजीब लग रहा है। क्योंकि, देश व प्रदेश में एकमत की सरकारें होने के कारण माना जा रहा था कि मंदिर निर्माण के लिए यह समय सर्वाधिक अनुकूल है।”