अयोध्या विवाद: सिब्बल को राहत, अब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा-बयान से सहमत
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर बहस के दौरान 2019 तक सुनवाई टालने की अपील करने वाले सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल को अपने क्लाइंट की तरफ से राहत मिली है। सुबह तक जिस सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सिब्बल के बयान से किनारा कर लिया था शाम होते-होते वह अपने बयान से पलट गया और अपने वकील की दलील का पक्ष ले लिया।
दरअसल, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जफरयाब जिलानी ने बुधवार शाम को एक बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान मुस्लिम पक्षकारों का प्रतिनिधत्व कर रहे वकील ने अपने क्लाइंट्स के कहने पर ही मुकदमे को टालने की अपील की थी। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के इस बयान के बाद अयोध्या केस के याचिकाकर्ता हाजी महबूब ने कहा, ‘अगर जिलानी साहब यह कहते हैं कि कपिल सिब्बल ने मंगलवार को कोर्ट में जो कहा वह सही है तो मैं भी इससे सहमत हूं। मैं इस बारे में और ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता हूं।’
जिलानी ने कहा कि पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में सिब्बल के बयान और दलील को सही ठहराता है। उन्होंने कहा कि विभिन्न नेताओं द्वारा राम मंदिर निर्माण और उसकी जगह के बारे में दिया जा रहा बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। यह मामला कोर्ट में है और उम्मीद करता हूं कि इस बारे में कोई राजनीतिक बयानबाजी नहीं होगी।
बता दें कि अगले लोकसभा चुनाव तक टालने की दलील देने के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल चौतरफा घिरते दिख रहे हैं। पीएम मोदी और बीजेपी के हमले के बाद आज सुबह में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने ही सिब्बल से किनारा कर लिया था। सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्य और बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब ने सिब्बल के बयान को गलत करार देते हुए कहा, ‘हां, कपिल सिब्बल हमारे वकील हैं, लेकिन वह एक राजनीतिक दल से भी जुड़े हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट में दिया गया उनका बयान गलत है। हम इस मसले का जल्द से जल्द समाधान चाहते हैं।’ हाजी महबूब ने कहा, ‘मैं तो चाहता हूं कि यह मसला जल्द से जल्द हल हो जाए। सिब्बल ने किस अंदाज से कह दिया कि 2019 के बाद सुनवाई हो? यह मैं गलत समझता हूं। 25 साल गुजर गए, मैं नहीं चाहता हूं कि 1992 की तस्वीर फिर दोहराई जाए। वह कांग्रेस के नेता भी हैं, हमें पता नहीं था कि वह ऐसी बात कहेंगे।’
बता दें कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने कहा था कि इस मसले की सुनवाई को 2019 के आम चुनाव तक टाल देना चाहिए। बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एक वकील होने के नाते कपिल सिब्बल दलीलें पेश कर सकते हैं लेकिन उन्हें नहीं भूलना चाहिए कि वह पूर्व कानून मंत्री रह चुके हैं। इस बात से उनका क्या मतलब है कि वह इस मसले को 2019 तक टालना चाहते हैं। इसका बाहर क्या असर होगा? यह कई मायनो में गैरजिम्मेदाराना और गलत है।
उनके इस बयान पर हमला बोलते हुए गुजरात की एक रैली में पीएम मोदी ने कहा कि आखिर 2019 में चुनाव कांग्रेस लड़ेगी या फिर सुन्नी वक्फ बोर्ड चुनाव लड़ेगा। नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘ मुझे इस बात पर कोई आपत्ति नहीं है कि कपिल सिब्बल मुस्लिम समुदाय की तरफ से लड़ रहे हैं पर वह यह कैसे कह सकते हैं कि अगले चुनाव तक अयोध्या मामले का कोई हल नहीं होना चाहिए? इसका संबंध लोकसभा चुनाव से कैसे है?’
इस बीच बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी ट्वीट करके कांग्रेस पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, ‘ अब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी कहा है कि वह कोर्ट में कपिल सिब्बल से सहमत नहीं है। यह निश्चित है कि सिब्बल ने आला कमान के आशीर्वाद से कांग्रेस नेता के रूप में (सु्प्रीम कोर्ट में) बोला। राम मंदिर मुद्दे पर कांग्रेस का शर्मनाक दिखावा।