अररिया उपचुनाव: लड़ तो बीजेपी रही, पर परीक्षा नीतीश कुमार की है, पास होने के लिए खूब पसीना बहा रहे सीएम
बिहार के अररिया में हो रहे उप-चुनाव में भाजपा चुनाव मैदान में है, लेकिन इसके लिए पसीना सीएम नीतीश कुमार को बहाना पड़ रहा है। दरअसल नीतीश राजद का साथ छोड़ एनडीए में लौट चुके हैं और ऐसे में उन पर अपना जनाधार साबित करने की चुनौती है। बता दें कि अररिया सीट पर उप-चुनाव राजद सांसद मोहम्मद तसलीमुद्दीन की मौत के कारण हो रहा है। नीतीश कुमार जब पिछले कार्यकाल में एनडीए के साथ गठबंधन में थे, तब अररिया सीट पर साल 2004 और 2009 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इस बार नीतीश ने राजद के साथ गठबंधन कर बिहार में सरकार बनायी तो अररिया सीट राजद के खाते में चली गई। अब चूंकि नीतीश दोबारा से एनडीए के साथ हैं तो अररिया उप-चुनाव में नीतीश को अपना जनाधार साबित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है।
भाजपा की ओर से प्रदीप कुमार अररिया सीट के लिए मैदान में हैं तो राजद ने दिवंगत सांसद तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम पर दांव लगाया है। उल्लेखनीय है कि अररिया सीमांचल क्षेत्र का हिस्सा है और यह क्षेत्र मुस्लिम बहुल इलाका है। ऐसे में राजद मुस्लिम और यादवों के साथ ही दलित और पिछड़ों को भी अपने साथ जोड़ने में जुटी है, जिससे नीतीश की राह काफी मुश्किल हो गई है। हालांकि नीतीश के लिए अच्छी बात ये है कि तसलीमुद्दीन की तरह उनके बेटे सरफराज आलम अभी ज्यादा लोकप्रिय नहीं है। ऐसे में कुछ यादव वोट पप्पू यादव की पार्टी जन अधिकार पार्टी को मिल सकते हैं। साथ ही साल 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवार को अररिया से 2.61 लाख वोट मिले थे, वहीं जदयू उम्मीदवार को 2.22 लाख वोट। बता दें कि तसलीमुद्दीन को पिछले लोकसभा चुनाव में 4 लाख के करीब वोट मिले थे। ऐसे में जब भाजपा और जदयू मिलकर अररिया सीट पर चुनाव लड़ रही हैं तो इसका भाजपा उम्मीदवार को लाभ मिलना तय माना जा रहा है।
दलित वोटरों को लुभाने के लिए जहां राजद जीतनराम मांझी की मदद ले रही है, वहीं एनडीए ने अपने दो दलित मंत्रियों कृष्ण कुमार ऋषिदेव और रामजी ऋषिदेव को चुनाव प्रचार में लगा दिया है। कहा जा रहा है कि अररिया लोकसभा सीट पर चुनाव राजद के मुस्लिम यादव गठजोड़ और भाजपा के बूथ मैनेजमेंट के बीच है। हालांकि यह चुनाव तेजस्वी यादव के लिए भी बेहद अहम है, क्योंकि लालू यादव इन दिनों जेल में बंद हैं और अगर तेजस्वी अपने नेतृत्व में अररिया सीट पर चुनाव जीतने में सफल हो जाते हैं तो वह कद्दावर नेता के रुप में उभर सकते हैं।