अरविंद केजरीवाल और लालू यादव की पार्टी ने नहीं दिया कमाई का हिसाब, उठे सवाल

आम आदमी पार्टी और राजद जैसे प्रमुख और प्रभावशाली क्षेत्रीय दलों ने चुनाव आयोग के सामने अब तक कमाई और खर्च का हिसाब नहीं दिया है।इन दोनों के अलावा  14 और क्षेत्रीय दल हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट और आयोग के दिशा-निर्देशों के बावजूद ऑडिट रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई है।हालांकि अन्य राजनीतिक दल संबंधित राज्यों में ज्यादा असरदार नहीं हैं। सवाल उठ रहे हैं कि जनसभाओं में पारदर्शिता की बातें करने वाले राजनीतिक दल पैसे का हिसाब देने में  हीलाहवाली क्यों कर रहे? यह बात सामने आई है एडीआर की रिपोर्ट में। एडीआर ने चुनाव आयोग में जमा सभी क्षेत्रीय दलों की ऑडिट रिपोर्ट की छानबीन की है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में सुधारों के लिए काम करने वाली इस संस्था ने कहा है कि राजनीतिक दलों की ऑडिट रिपोर्ट का इनकम टैक्स को पड़ताल करना चाहिए, मगर ऐसा नहीं हो रहा है।

इन दलों ने नहीं दिया हिसाबः दलों को वित्तीय वर्ष 2016-17 की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट 31 अक्टूबर 2007 तक जमा करनी थी। सिर्फ 12 दलों ने तय समय-सीमा के भीतर रिपोर्ट जमा किया, बाकी 20 दलों ने 13 से 147 दिन देरी से यह काम किया। वहीं 16 क्षेत्रीय दलों ने आज तक चुनाव आयोग को हिसाब-किताब नहीं दिया। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर इन दलों की रिपोर्ट अब तक उपलब्ध नहीं है। इसमें आम आदमी पार्टी, राजद और जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी जहां प्रमुख राजनीतिक दल हैं, वहीं अन्य दलों में कर्नाटक जनता पक्ष, गोवा फारवर्ड पार्टी, ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक, ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस, नेशनल पीपुल्स पार्टी, यूडीपी आदि दल शामिल हैं।

कमाई और खर्च में कौन रहा आगेः ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016-17 के दौरान 32 क्षेत्रीय दलों की कुल कमाई 321.03 रुपये रही।इसमें यूपी की समाजवादी पार्टी ने सर्वाधिक 82.76 करोड़ रुपये कमाई दिखाई।अकेले सपा की कमाई 32 दलों की आय का 25.78 प्रतिशत रहा। दूसरे नंबर पर टीडीपी रही, जिसने 72.92 करोड़ वहीं एआइएडीएमके ने 48.88 करोड़ रुपये की आय घोषित की। इस वित्तीय वर्ष के दौरान 17 क्षेत्रीय दलों ने आय से कम खर्च किया, जबकि 15 पार्टियों ने आय से अधिक। कर्नाटक में सक्रिय पार्टी डीएमके ने आय से 81.88 करोड़ तो समाजवादी पार्टी ने 64.34 करोड़ रुपये खर्च किए। वहीं एआइएमआइएम और जनता दल सेक्युलर ने अपनी कुल कमाई का 87 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा खर्च ही नहीं किया।शीर्ष तीन क्षेत्रीय दलों में समाजवादी पार्टी ने कुल 147.10 करोड़, जबकि एआइएडीएमके ने 86.77 और डीएमके ने 85.66 करोड़ का खर्च दिखाया है।

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