अरुण शौरी बोले- 2019 में नरेंद्र मोदी को हराना संभव, तरीका भी बताया
केन्द्र की मोदी सरकार के मुखर विरोधी और लेखक, अर्थशास्त्री अरुण शौरी का कहना है कि साल 2019 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी को हराना संभव है। अरुण शौरी ने आगामी लोकसभा चुनावों में ना सिर्फ भाजपा को हराने की बात कही, बल्कि इसका तरीका भी बता दिया। ‘बेंगलुरु मिरर’ के साथ एक बातचीत के दौरान अरुण शौरी ने साल 2019 लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि ‘यदि इन लोगों (विपक्षी पार्टियों) ने सावधानीपूर्वक कदम नहीं बढ़ाए तो इसका सभी को नुकसान उठाना पड़ेगा।’ पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि ‘मुझे लगता है कि मोदी को हराया जा सकता है, क्योंकि अपनी लोकप्रियता के चरम पर भी उन्हें सिर्फ 31 प्रतिशत वोट मिले थे। इसके लिए सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट होना पड़ेगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि हर लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ विपक्षी पार्टियों का एक ही उम्मीदवार खड़ा हो। विपक्षी पार्टियों में प्रत्येक व्यक्ति को काफी मेहनत करनी होगी और यह मानकर चलना होगा कि वह खुद मोदी है।’
कर्नाटक चुनावों से बंधी उम्मीदः अरुण शौरी ने कहा कि ‘हमनें गुजरात और उत्तर प्रदेश में ऐसा होते देखा है। मैं यकीन से कह सकता हूं कि आज नीतीश कुमार भी घुटन महसूस कर रहे होंगे। यदि आप एनडीए के सहयोगी दलों के भाषणों को देखें तो उससे लगता है कि कहीं कुछ सही नहीं चल रहा है और इससे हमें उत्साहित होना चाहिए।’ अरुण शौरी कर्नाटक के घटनाक्रम को भी आगामी लोकसभा चुनावों से जोड़कर देख रहे हैं। बता दें कि एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी एकता देखने को मिली थी। वहां कई राजनैतिक पार्टियों के प्रमुखों ने जिस तरह से एकजुटता दर्शायी थी, उससे आगामी लोकसभा चुनावों के लिए महागठबंधन की उम्मीद दिखाई दी। हालांकि शौरी ने यह भी माना कि राजनेताओँ द्वारा हर दिन नए बयान दिए जाते हैं। मायावती का उदाहरण देते हुए अरुण शौरी ने कहा कि मायावती ने हाल ही में कहा है कि यदि उन्हें उनके मुताबिक सीटें नहीं दी गईं तो वह अकेले चुनाव भी लड़ सकती हैं। शौरी ने कहा कि यदि मायावती और शरद पवार गुजरात चुनाव में अपने उन उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में नहीं उतारते, जिनके जीतने की संभावना बिल्कुल नहीं थी, तो भाजपा सरकार बनाने में सफल नहीं हो पाती।
अभी चेहरे की जरुरत नहींः नरेंद्र मोदी के खिलाफ खड़े होने वाले चेहरे के सवाल पर अरुण शौरी ने कहा कि ‘इसकी फिलहाल जरुरत नहीं है। उदाहरण देते हुए शौरी ने कहा कि मोरारजी देसाई और चरण सिंह इंदिरा गांधी के विकल्प नहीं थे, लेकिन इसके बावजूद इंदिरा गांधी हारी। इसी तरह वीपी सिंह भी राजीव गांधी का विकल्प नहीं थे। ऐसे में अभी सिर्फ इतना करना है कि भाजपा के एक उम्मीदवार के सामने सिर्फ एक उम्मीदवार हो, ताकि 69 प्रतिशत वोटों को बंटने से रोका जा सके। गठबंधन सरकार के टिकाऊ होने पर अरुण शौरी ने कहा कि कई गठबंधन सरकारें सफल रही हैं और यह नेताओं की समझ पर निर्भर करता है कि वह गठबंधन सरकार को किस तरह से चलाते हैं।