अलवर मॉब लिंचिंग: कैमरे पर कहते दिखे पुलिसवाले- मुझसे गलती हो गई, मुझे सजा दे दो
अलवर मॉब लिंचिंग को लेकर नया खुलासा हुआ है। पुलिसवाले कैमरे पर अपना गुनाह कबूल करते दिखे हैं। वीडियो वायरल होने के बाद राजस्थान का पूरा महकमा सकते में है। पुलिसकर्मी मोहन सिंह ने यह स्वीकार किया है कि पीड़ित को घटनास्थल से अस्पताल तक ले जाने में तकरीबन 3 घंटे का वक्त लग गया। पुलिसवाले की स्वीकारोक्ति ऐसे समय सामने आई है, जब गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रकबर खान की हत्या पर राजस्थान से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। वहीं, राजस्थान पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। देर से अस्पताल ले जाने के कारण रकबर की मौत हो गई थी। उच्चाधिकारियों का कहना है कि वक्त पर हॉस्पिटल ले जाने पर उसे बचाया जा सकता था। असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर मोहन सिंह ने कैमरे पर कहा, ‘मुझसे गलती हो गई, मुझे सजा दे दो।’ पुलिसकर्मियों पर रकबर खान को तीन घंटे की देरी से अस्पताल पहुंचाने का आरोप है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पुलिसवालों ने सबसे पहले पीड़ि की गाय को रखने के लिए जगह ढूंढ़ी। इसके बाद रकबर के शरीर को साफ किया, क्योंकि वह कथित तौर पर कीचड़ से सना था। इतने पर भी पुलिसवाले नहीं गंभीर नहीं हुए और चाय पीने लगे थे।
भीड़ ने की थी रकबर की पिटाई: रकबर खान को 20 जुलाई की रात में लोगों के एक गुट ने अपना निशाना बनाया था। उग्र भीड़ ने अलवर जिले के लालावंडी गांव में रकबर की बेरहमी से पिटाई कर डाली थी। पीड़ित गायों को लेकर अलवर के रामगढ़ के जंगली इलाके से हरियाणा आ रहा था। रकबर के साथ उसका दोस्त असलम भी था। असलम तो किसी तरह भागने में सफल रहा था, लेकिन भीड़ ने रकबर को पकड़ लिया था। मामले के तूल पकड़ने पर रामगढ़ पुलिस ने विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के गौ रक्षा सेल के प्रमुख नवल किशोर शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। पुलिस आधी रात के बाद 1:15 बजे ही घटनास्थल पर पहुंच गई थी, लेकिन रकबर को तड़के 4 बजे रामगढ़ सामुदायिक केंद्र पहुंचाया गया था। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। अलवर मॉब लिंचिंग पर संसद का माहौल भी गर्माया हुआ है।