अविश्वास प्रस्ताव: विपक्ष 10 दिनों के अंदर चाहता था बहस, अमित शाह ने पलट दी विपक्षी रणनीति

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पहली बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी। मंगलवार (18 जुलाई) को मानसून सत्र के पहले ही दिन एनडीए की पूर्व सहयोगी टीडीपी समेत कांग्रेस एवं अन्य दलों ने जब अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया और स्पीकर सुमित्रा महाजन से दस दिनों के अंदर इस पर बहस कराने की गुजारिश की तो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने नई रणनीति के तहत उसे दो दिन बाद ही यानी 20 जुलाई को ही करवाने का फैसला कर लिया। शाह विपक्ष को लामबंद होने का ज्यादा मौका नहीं दे सके। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार का कहना है कि विपक्ष की उम्मीदों से बहुत पहले अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराने की घोषणा से अब विपक्षी सकते में है।

दरअसल, बीजेपी अध्यक्ष ऐसा कर इस सियासी गेम को अपने पाले में करना चाहते हैं। उन्हें यह पहले से ही पता था कि तीसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की शनिवार (21 जुलाई) को एक बड़ी रैली कोलकाता में आयोजित होने जा रही है, जिसमें ममता बनर्जी समेत टीएमसी के सभी सांसद व्यस्त हैं। लिहाजा, उनमें से कुछ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस में शामिल हो भी सकते हैं और नहीं भी। ऐसे में विपक्ष का खेल बिगड़ सकता है मगर शाह की चाल को समझते हुए ममता बनर्जी ने अब अपने सभी 34 सांसदों को शुक्रवार (20 जुलाई) तक दिल्ली में ही डटे रहने को कहा है और शनिवार को रैली में शामिल होने का निर्देश दिया है।

हालांकि, बीजेपी और मोदी सरकार लोकसभा में बहुमत के आंकड़ों को प्रति आश्वस्त है और उसे हर हाल में अविश्वास प्रस्ताव जीत लेने का भरोसा है मगर बीजेपी चाहती है कि अविश्वास प्रस्ताव पर बहस कराकर न सिर्फ संसद के जरिए मोदी सरकार के चार साल की उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाया जाय बल्कि सियासी रणनीति के तौर पर लामबंद विपक्ष को हराकर जनता के बीच ये संदेश दिया जाय कि मौजूदा दौर में मोदी के सामने सभी बौने हैं। इसके साथ ही बीजेपी लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली चर्चा में पीएम मोदी के भाषण को लोकसभा चुनाव 2019 के आगाज के रूप में पेश करने की तैयारी में है।

बीजेपी के सूत्र यह भी बताते हैं कि जब एक बार विपक्ष मुंह की खाएगा तब वो मानसून सत्र के बचे कार्यदिवसों में रोड़े नहीं अटका सकेगा जैसा कि बजट सत्र में हुआ था। ऐसे में मोदी सरकार अपनी महत्वाकांक्षी विधेयकों को संसद से पास कराने की कोशिश करेगी, मगर कांग्रेस भी विपक्षी एकता को मजबूत कर इस गेम का नफा-नुकसान उठाने को बेकरार है। ऐेसे में मोदी सरकार को कांग्रेस राज्यसभा में घेरने की रणनीति भी बनाएगी।

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