असदुद्दीन ओवैसी बोले- कानून बनाना ही है तो उन मुस्लिम मर्दों के खिलाफ बनाओ जो बीवियों को छोड़ते हैं
लोकसभा में काफी बहस के बाद तीन तलाक से जुड़े विधेयक को पारति कर दिया गया है। बहस के दौरान AIMIM के सांसद और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक पर कई सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि अगर कानून बनाना ही है तो उन मुस्लिम मर्दों के खिलाफ बनाया जाना चाहिए जो बीवियों को छोड़ते हैं। ओवैसी ने ‘गुजरात की भाभियों समेत’ पति द्वारा छोड़ी गईं लाखों महिलाओं के लिए कानून बनाने की मांग की थी। हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ने अपना पक्ष रखते हुए दलील दी थी कि मुस्लिम मैरिज एक सिविल कांट्रैक्ट हैं, ऐसे में उसे अपराध की श्रेणी में कैसे रखा जा सकता है।
असदुद्दीन ओवैसी ने जनगणना के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया था कि देश में 80 प्रतिशत बाल विवाह गैर मुस्लिम समुदाय में होते हैं। इसके साथ ही पतियों द्वारा छोड़ी गई 23 लाख महिलाओं में 20 लाख हिंदू समुदाय से आते हैं। उन्होंने कहा, ‘आप (सरकार) उन पतियों को दंडित करने के लिए कानून नहीं लाना चाहते हैं, जिन्होंने शादी के बाद बीवियों को छोड़ दिया…इसमें आपका निहित स्वार्थ है। ऐसा कानून लाना चाहिए, जिसके तहत उन मर्दों को दंडित करने का प्रावधान हो जो शादी के बाद अपनी बीवियों को छोड़ देते हैं। सिर्फ मुस्लिम पुरुषों से निपटने वाले कानून से अन्याय बढ़ेगा, महिलाओं की सुरक्षा नहीं होगी।’ ओवैसी ने मुस्लिम प्रतिनिधियों से सलाह-मशवरा के बगैर कानून बनाने पर भी सवाल उठाया था। उन्होंने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को असफल करार दिया था। केंद्रीय मंत्री ने इस पर नाखुशी जताई थी।
कानून के पक्ष में उतरे एमजे अकबर: विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने तीन तलाक पर कानून लाने का पुरजोर समर्थन किया। ऐसा करने वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चालने के बारे में केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि मंत्री (कानून) इस पर गौर कर रहे होंगे।’ अन्नाद्रमुक सांसद अनवर रहजा ने फौरी तीन तलाक के खिलाफ लाए जा रहे कानून का समर्थन किया, लेकिन इसे अपराध की श्रेणी में रखने पर सवाल उठाया। उन्होंने इसे हटाने की मांग की है।