आइआरसीटीसी मामला: लालू, राबड़ी और तेजस्वी को समन जारी
दिल्ली की एक अदालत ने भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (आइआरसीटीसी) घोटाला मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी और अन्य को आरोपी के रूप में सोमवार को समन जारी कर अदालत में पेश होने को कहा। विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार ने आइआरसीटीसी के दो होटलों के संचालन की जिम्मेदारी एक निजी कंपनी को सौंपने की प्रक्रिया में हुई कथित अनियमितताओं से जुड़े मामले में सभी आरोपियों से 31 अगस्त को अदालत में पेश होने को कहा। मामले में 16 अप्रैल को आरोपपत्र दाखिल करने के बाद सीबीआइ ने कहा था कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं।
जांच एजंसी ने पूर्व में अदालत को बताया था कि रेलवे बोर्ड के अतिरिक्त सदस्य बीके अग्रवाल पर मुकदमा चलाने के लिए संबंधित अधिकारियों से मंजूरी ले ली गई है। अग्रवाल उस समय आइआरसीटीसी के महाप्रबंधक थे। यादव और उनके परिवार के सदस्यों के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रेमचंद गुप्ता और उनकी पत्नी सरला गुप्ता, आइआरसीटीसी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक बीके अग्रवाल और आइआरसीटी के तत्कालीन निदेशक राकेश सक्सेना का भी नाम आरोपपत्र में है। आरोपपत्र में शामिल अन्य नामों में आइआरसीटीसी के तत्कालीन समूह महाप्रबंधक वीके अस्थाना और आरके गोयल, सुजाता होटल के निदेशक विजय कोचर व विनय कोचर और चाणक्य होटल के मालिकों का नाम शामिल है। आरोपपत्र में डेलाइट मार्केटिंग और सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड का नाम भी आरोपी कंपनियों के रूप में शामिल है। डेलाइट मार्केटिंग का नाम अब लारा प्रोजेक्ट्स हो गया है।
सीबीआइ ने पिछले साल जुलाई में मामला दर्ज किया था और इस सिलसिले में पटना, रांची, भुवनेश्वर व गुरुग्राम में 12 ठिकानों पर तलाशी ली गई थी। आरोपपत्र के मुताबिक 2004 से 2014 के बीच एक साजिश रची गई थी, जिसमें भारतीय रेलवे की पुरी और रांची में स्थित बीएनआर होटलों को पहले आइआरसीटीसी के नाम पर किया गया और बाद में इसके संचालन व रखरखाव के लिए इसे पटना स्थित सुजाता होटल प्राइवेट लिमिटेड को पट्टा पर दे दिया गया। सीबीआइ की ओर से दर्ज की गई एक प्राथमिकी के मुताबिक तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने सुजाता होटल की मालकिन और अपने करीबी सहयोगी व राज्यसभा में राजद के सांसद प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता व आइआरसीटीसी के अधिकारियों के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र के तहत खुद और दूसरों को अनुचित आर्थिक लाभ पहुंचाया।