आचार्य बालकृष्ण के नुस्खेः बार-बार आने वाले बुखार को जड़ से खत्म करता है अपराजिता, जानें और फायदे

अपराजिता इकहरे या दुहरे फूलों वाली एक बेल होती है जिसमें सफेद व नीले फूल लगते हैं। ये फूल बहुत सुंदर होते हैं। इस वजह से इनका इस्तेमाल लोग घरों में सजावट के तौर पर भी करते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम क्लाइटोरिया टार्नेशिया है। आयुर्वेद में इसे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं में बतौर औषधि इस्तेमाल किया जाता है। आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक यह बेल पुराने से पुराने बुखार, पेट संबंधी समस्याओं तथा बच्चों की खांसी जैसी बीमारियों को जड़ से खत्म करने में सक्षम होती है। तो चलिए अपराजिता के औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

बुखार में – बार बार बुखार आने पर अपराजिता का इस्तेमाल बतौर औषधि करना बहुत फायदेमंद होता है। इसके लिए अपराजिता की जड़ का काढ़ा बना लें और इसे पिएं। बुखार के लिए यह रामबाण औषधि होती है।

प्रसव पीड़ा में अपराजिता – प्रसव पीड़ा से राहत दिलाने में अपराजित का इस्तेमाल बहुत असरदार होता है। इसके लिए प्रसव के दौरान अपराजिता की जड़ को धागे में बांधकर गर्भवती महिला की कमर से बांध दें। इससे प्रसव सहज ढंग से संपन्न हो जाता है। बच्चा पैदा होने के बाद अपराजिता की जड़ को हटा दें।

पेट संबंधी समस्याओं में – अपराजिता से पेट साफ रहता है तथा यह कब्ज से राहत दिलाने में भी मददगार है। ऐसे लोग जिन्हें दस्त की शिकायत होती है वे इसकी बहुत कम मात्रा का सेवन करें।

गर्भाशय के संक्रमण में – जिन महिलाओं में गर्भाशय के बाहर आ जाने की शिकायत होती है या फिर जिनका गर्भाशय अपनी जगह से हिल गया होता है वे लोग अपराजित के इस्तेमाल से इस समस्या से आसानी से निपट सकते हैं। इसके लिए अपराजिता के पत्ते को चांगेरी घास के साथ मिलाकर उबाल लें। अब इसमें थोड़ी फिटकरी डालकर इस पानी से योनि को धोएं। ऐसा करने से गर्भाशय में सिकुड़न होती है और वह अंदर जाने लगता है। यह संक्रमण से भी सुरक्षा प्रदान करने वाली औषधि है।

बच्चों की खांसी में – अगर आपके बच्चों को खांसी की समस्या होती है तो अपराजिता के बीज को पीस लीजिए और इसका पाउडर बना लीजिए। अब 250 ग्राम पाउडर लेकर उसमें शहद मिला लें और बच्चे को चटाएं। इससे खांसी से आराम मिलेगा।

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