आतंक पर लगाम के लिए इंटरनेट पर अंकुश जरूरीः जनरल बिपिन रावत

भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि आतंकवादी तकनीकी क्षमता संपन्न हो गए हैं और अपनी कारगुजारियों में तकनीक का इस्तेमाल करने लगे हैं। खासकर, आतंकवादी कार्रवाइयों और घुसपैठ में। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को उन्हीं के अंदाज में जवाब दिए जाने की जरूरत है। आतंकवाद पर लगाम कसने के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया पर नियंत्रण लगाया जाना जरूरी है। ‘आॅब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ की ओर से आयोजित ‘रायसीना संवाद’ सम्मेलन के दूसरे दिन जनरल रावत के साथ ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी डिजिटल युग और कट्टरवाद बढ़ने से आतंकवाद की चुनौती को गंभीर बताया।

जनरल रावत के अनुसार, आतंकवादी ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करने लगे हैं जो उच्च गुणवत्ता के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगाए गए हैं। हमें आतंकियों और उनके पोषकों को नष्ट करना होगा। हमें आतंक पोषण करने वाले देशों की पहचान करनी होगी। आतंकियों तक परमाणु और रसायनिक हथियारों की पहुंच मानवता के लिए खतरनाक है। जनरल रावत ने कहा, आतंकवाद को खत्म करने के लिए वैश्विक समुदाय को इसके खिलाफ एक साथ खड़ा होना होगा और इसका सामना करना होगा।

उन्होने कहा, हमें इंटरनेट और सोशल मीडिया पर कुछ जांच और प्रतिबंध लगाने की जरूरत है, जिसका आतंकवादी संगठन हमेशा सहारा लेते हैं। लोकतांत्रिक देश में लोग इसे पसंद नहीं करेंगे, लेकिन हमें एक सुरक्षित वातावरण चाहते हैं, इसलिए हमें अस्थाई तौर पर प्रतिबंधों को स्वीकार करने के लिए तैयार होगा, जिससे आतंकवाद से निपटा जा सके।
पाकिस्तान की ओर से जारी संघर्ष विराम उल्लंघनों की चर्चा करते हुए सेना प्रमुख ने अगले कुछ महीनों में बड़े पैमाने पर घुसपैठ की आशंका जताई है। उन्होंने पाकिस्तान की ओर से हो रही गोलीबारी को इसी के प्रयास का हिस्सा बताया। पाकिस्तान की सीमा में स्थित आतंकवादी शिविरों का हवाला देते हुए जनरल रावत ने कहा कि कश्मीर में आतंकवाद की आग भड़काने की कोशिश हो रही है।

परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर पाकिस्तान की ओर से आई टिप्पणी को लेकर जनरल रावत ने कहा कि परमाणु हथियार एक रणनीतिक प्रतिरोधक होते हैं। इनका इस्तेमाल सर्वोच्च राजनीतिक सत्ता की इजाजत के बाद ही किया जा सकता है। अगर आपको दुश्मन के खिलाफ कारर्वाई करने के लिए कहा जाता है तो आप केवल इसलिए रुक जाएंगे क्योंकि उस मुल्क के पास परमाणु हथियार हैं। डोकलाम इलाके में चीनी सेना और उसके सैन्य निर्माण की मौजूदगी को लेकर सेना प्रमुख ने कहा कि यह कोई गंभीर बात नहीं है। उन्होंने कहा कि डोकलाम के एक हिस्से में चीनी सैनिक मौजूद हैं लेकिन उनकी संख्या बहुत अधिक नहीं है। भारतीय सेना भी वहां मौजूद है और अगर चीनी सैनिक वापस आते हैं तो हम उनका सामना करेंगे। दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के इंतजामों की जानकारी देते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि दोनों ही देशों के सैनिकों के बीच संवाद का आदान-प्रदान हो रहा है।

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