आप ने पूछा- हमारे विधायक अयोग्य तो भाजपा के 116 विधायक योग्य कैसे? कार्रवाई कब?
आम आदमी पार्टी (आप) की मध्य प्रदेश इकाई ने आरोप लगाया है कि राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के 116 विधायकों के लाभ के पद पर होने के बावजूद उनकी सदस्यता रद्द नहीं की गई, जबकि चुनाव आयोग ने पाया है कि 116 विधायकों ने जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष पद पर रहते हुए यात्रा भत्ता का लाभ लिया है। आप के प्रदेश संयोजक, आलोक अग्रवाल ने बुधवार को संवाददाताओं से चर्चां करते हुए कहा कि उन्हें राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के जरिए 116 विधायकों के लाभ के पद के खिलाफ की गई शिकायतों के संबंध में एक आदेश प्राप्त हुआ है, जिसमें भारतीय चुनाव आयोग की अनुशंसा का भी जिक्र है।
उन्होंने कहा कि आदेश में जहां एक ओर यह स्वीकार किया गया है कि इन 116 विधायकों को जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष पद पर रहते हुए यात्रा भत्ता का लाभ मिला है, वहीं दूसरी ओर इन विधायकों की सदस्यता निरस्त नहीं की गई है। उन्होंने बताया, “आम आदमी पार्टी ने चार जुलाई, 2016 को 116 विधायकों के लाभ के पद की शिकायत तत्कालीन राज्यपाल से की थी। इस बारे में पार्टी ने राज्यपाल के समक्ष भारतीय संविधान के अनुच्छेद 191(1)(क) अनुच्छेद 192 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत लिखित में शिकायत दर्ज कराई थी।”
अग्रवाल ने कहा, “हमारी पार्टी मानती है कि देश में एक ही तरह के लोगों के लिए दो अलग-अलग कानून चल रहे हैं। जहां एक ओर यात्रा भत्ता लेने के बाद भी विधायकी रद्द नहीं की जाती है, वहीं दूसरी ओर दिल्ली में किसी तरह का लाभ न लेने पर भी विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी जाती है। आप इस मामले में 116 विधायकों की शिकायत खारिज करने के विषय में उच्च न्यायालय के समक्ष अपील दायर करेगी।
उन्होंने कहा, “भाजपा सरकार की दोहरी नीति इस मामले से स्पष्ट हो गई है। भाजपा शासन में लोकतंत्र आज इतना मजबूर हो चुका है कि राष्ट्रपति ने बिना मामले की तह में गए चुनाव आयोग के फैसले पर हाथों-हाथ मुहर लगा दी। वहीं दूसरी ओर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भाजपा के 116 विधायकों की सदस्यता खत्म करने की शिकायत की अर्जी तुरंत खारिज कर दी।
उन्होंने बताया कि दिल्ली के विधायकों की सदस्यता रद्द करने के लिए जहां राष्ट्रपति ने रविवार को ही फैसला सुनाया, वहीं चुनाव आयोग के पूर्व प्रमुख ने अपनी सेवानिवृत्ति के महज तीन दिन पहले आप विधायकों के खिलाफ फैसला दिया। यही नहीं मध्य प्रदेश में भी नवनियुक्ति राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सबसे पहले 116 विधायकों के लाभ के पद के मामले में उन्हें क्लीन चिट दी है। यह जल्दबाजी और टाइमिंग भाजपा के चेहरे को बेनकाब करती है। अग्रवाल का आरोप है, “मध्य प्रदेश में आनंदी बेन पटेल ने शपथ लेने के बाद पहला फैसला अपने विधायकों को बचाने के लिए दिया। इससे उन्होंने अपना भाजपा नेता होने का फर्ज तो निभा दिया, लेकिन संविधान की सुरक्षा का जो दायित्व उन पर है, वह उसे भूल गईं।