‘आप’ पार्टी में लौटने को लेकर प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने तोड़ी चुप्पी और दिया यह जवाब
स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव और पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रशांत भूषण ने उन खबरों का खारिज किया है, जिसमें कहा गया था कि आम आदमी पार्टी (आप) और उनके बीच पार्टी में वापसी को लेकर बातचीत चल रही है। दोनों नेताओं ने सोमवार को कहा कि इस तरह की कोई भी संभावना नहीं है। साथ ही दोनों नेताओं ने आप नेताओं व पार्टी के संस्थापक सदस्य कुमार विश्वास के साथ किसी भी तरह के संपर्क को सिरे से नकार दिया। योगेंद्र यादव ने कहा, “मुझे उस दावे को पढ़कर आश्चर्य हुआ जिसमें कहा गया है कि स्वराज अभियान के कुछ सहयोगी फिर से आप में शामिल होंगे। मुझे यह जानने में प्रसन्नता होगी कि ये लोग कौन हैं और स्वराज अभियान में किस पद पर हैं।”
यादव ने कहा, “मैं बहुत हैरान हूं यह सुनकर कि आप और हमारे बीच इस तरह की बातें हो रही हैं। कम से कम मुझे तो इस बारे में कुछ नहीं पता है। मैंने पिछले दो साल से कुमार विश्वास और अन्य किसी आप नेता से बात नहीं की है। इस बात में कोई दम नहीं है। यह सब महज अटकलें हैं। भूषण ने एक मीडिया रपट को रिट्वीट किया, जिसमें आप नेता कुमार विश्वास के हवाले से यह बात कही गई थी कि दोनों नेता आप में वापस आने की योजना बना रहे हैं। भूषण ने इसे ‘निर्थक’ करार दिया। कुमार विश्वास ने रविवार को आप की कार्यपद्धति से नाखुशी जताते हुए कहा था कि पार्टी को मूल सिद्धांत स्वराज, नैतिकता और पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की तरफ लौटने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता उनके कई सहयोगियों के साथ बातचीत कर रहे हैं, जिन्होंने पार्टी छोड़ दी है और पार्टी द्वारा किए गए किसी भी गलत कार्य के लिए माफी मांगी है। उन्होंने कहा था कि इन लोगों में योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण शामिल हैं। भूषण ने ट्वीट किया, “आप में हमारी वापसी को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है और इसकी कोई संभावना भी नहीं है। आप ने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के सभी आदर्शो के साथ धोखा किया है।यादव ने भी ट्विटर के जरिए कहा कि एक दिन पहले जो विश्वास ने कहा, उसे पढ़कर वह ‘हैरान’ हैं।
उन्होंने ट्वीट की एक श्रृंखला में कहा, “वास्तव में? इतना गोपनीय कि हम दोनों ने ही इसके बारे में कुछ सुना तक नहीं! मेरे ख्याल से ऐसा होने की कोई संभावना नहीं है। यादव और भूषण को मार्च 2015 में कथित रूप से पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से निकाल दिया गया था। उन्होंने आप संयोजक अरविंद केजरीवाल की ‘कार्यप्रणाली को सुप्रीमो शैली’ कहकर संबोधित किया था और पार्टी में पारदर्शिता की कमी बताया था। दोनों ने अक्टूबर 2016 में एक नई राजनीतिक पार्टी स्वराज इंडिया की स्थापना की, जिसने दिल्ली के निगम चुनावों में भाग भी लिया।
सूत्रों के मुताबिक, आम आदमी पार्टी ने विश्वास को निकालने का फैसला किया था और विश्वास द्वारा उठाया गया यह कदम पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ सौदेबाजी की रणनीति है। सूत्रों ने कहा कि विश्वास के विवादास्पद बयान का उद्देश्य राज्यसभा सीट के लिए सौदेबाजी के तहत आम आदमी पार्टी के नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं का ध्यान आकर्षित करना है।