आरुषि हत्याकांड: ये हैं चार बड़े कारण, जिसकी वजह से रिहा हुए तलवार दंपत्ति?
चर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए तलवार दंपत्ति को बरी कर दिया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने तुरंत नूपुर तलवार और राजेश तलवार को जेल से रिहा करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने माना है कि जांच में कई खामियां हैं। ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट भी इतनी कठोर सजा नहीं देता है। तलवार दंपत्ति साल 2013 से गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं। उन्हें गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने इस हत्याकांड का दोषी करार देते हुए दोनों को उम्रकैद सुनाई थी। इसके बाद उनके वकीलों ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। तलवार दंपत्ति के वकील तनवीर अहमद ने तब सीबीआई कोर्ट के 204 पन्नों के फैसले पर उंगली उठाई थी।
इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में तब बचाव पक्ष के वकील तनवीर अहमद ने बताया था कि उन्होंने ट्रायल के दौरान कोर्ट का ध्यान चार प्रमुख मुद्दों पर दिलाने की कोशिश की थी लेकिन अदालत ने उस पर ध्यान नहीं दिया। बाद में उन्हीं तथ्यों का हवाला देकर तलवार दंपत्ति के वकीलों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की और अंतत: उन्हें इसका लाभ मिला। बचाव पक्ष के वकील ने अदालत को निम्न तर्क दिए थे-
साक्ष्यों का बोझ: बचाव पक्ष के वकीलों ने हाईकोर्ट में दलील दी कि जांचकर्ता ने साक्ष्यों का बोझ आरोपियों पर डाल दिया। चूंकि जांच एजेंसी ने मान लिया कि घटना के दिन घर पर चार लोग ही थे, जिनमें से दो की हत्या हो गई। इसलिए बाकी बचे दो लोग ही इसके गुनहगार हैं। बचाव पक्ष ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने काली राम बनाम हिमाचल प्रदेश सरकार (1973) में फैसला दिया था कि ऐसे मामलों में आरोपी पर साक्ष्यों का बोझ नहीं डाला जा सकता।
नौकरानी की दलील: बचाव पक्ष ने दलील दी कि तलवार दंपत्ति की नौकरानी भारती मंडल को सीबीआई ने बयान देने के लिए दवाब डाला था। भारती ने कोर्ट को बताया था कि 16 मई 2008 की सुबह जब वो घर पर पहुंची थी, तो देखा कि दरवाजा अंदर से बंद है। सीबीआई ने इस बयान का इस्तेमाल तलवार दंपत्ति के खिलाफ किया कि हत्यारा घर के अंदर ही थी लेकिन बाद में ट्रायल के दौरान भारती ने स्वीकार किया कि उसे ऐसा कहने को सीबीआई ने कहा था।
घटनाओं की कड़ी: बचाव पक्ष ने कोर्ट में जिस तरह घटनाओं की कड़ी को पेश किया है, उससे घटना की सच्चाई और आरोपियों को संदेह का लाभ मिला। चूंकि सीबीआई ने साक्ष्यों का बोझ आरोपियों पर डाल दिया, इसलिए यह साबित नहीं हो सका कि मर्डर केस में किसी बाहरी शख्स का हाथ है या नहीं।
तथ्यों में गड़बड़ी: सीबीआई ने निचली अदालत के सामने तथ्य पेश किए थे कि हेमराज के खून का डीएनए सैंपल आरुषि के कमरे से उसके तकिए पर से लिया गया था लेकिन ट्रायल के दौरान फॉरेन्सिक लैबोरेटरी के डॉक्टर बी के महापात्रा ने कहा कि हेमराज के खून के नमूने आरुषि के कमरे से नहीं हेमराज के कमरे से लिए गए थे। बचाव पक्ष ने इस तरह के कुछ और तथ्यों में पाई गई गड़बड़ियों के सबूत कोर्ट को सौंपे। हाईकोर्ट ने भी माना कि ये तथ्य और सबूत तलवार दंपत्ति को दोषी ठहराने के लिए काफी नहीं हैं।