आसान नहीं दलबदलुओं की राह, नई पार्टी… नए कार्यकर्ता… नया क्षेत्र… साबित हो रही चुनौती

दिल्ली विधानसभा चुनाव में तीन प्रमुख दलों आम आदमी पार्टी (AAP), भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) ने दुश्मन से दोस्त बने करीब 20 लोगों को टिकट दिया है. हालांकि इन उम्मीदवारों की जीत की राह इतनी आसान नहीं होगी. दल-बदल के बाद, ये उम्मीदवार अब अपनी नई पार्टी में खुद को साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, उनके सामने कई चुनौतियां पेश आ रही हैं. उन्हें टिकट देने वाली पार्टियों के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच बेचैनी देखने को मिल रही है.

चुनाव नजदीक आते ही आप, कांग्रेस और भाजपा के कई प्रमुख नेताओं ने अपना पाला बदल लिया. विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मिलने को लेकर अनिश्चितता के बीच, लगभग आधा दर्जन भाजपा नेता आप में शामिल हो गए, जिसने (आप) तुरंत उन्हें विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों से मैदान में उतारा. इन नेताओं ने 2020 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा था.

इनमें से एक हैं प्रवेश रतन, जिन्हें आप ने पूर्व मंत्री और भाजपा उम्मीदवार राज कुमार आनंद के खिलाफ पटेल नगर (आरक्षित) सीट से मैदान में उतारा है. 2020 में भी, वे दोनों प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार थे, लेकिन अलग-अलग पार्टियों से – आप से आनंद और भाजपा से रतन.

बीजेपी के कई बड़े नेता आम आदमी पार्टी में शामिल हुए

जितेंद्र सिंह शंटी और सुरिंदर पाल बिट्टू भी आप में शामिल हो गए और उन्हें शाहदरा और तिमारपुर निर्वाचन क्षेत्रों से टिकट मिला. तीन अन्य भाजपा नेता – ब्रह्म सिंह तंवर, बी. बी. त्यागी और अनिल झा भी आप में शामिल हो गए और विधानसभा चुनाव के लिए टिकट हासिल किया. त्यागी लक्ष्मी नगर से, झा किराड़ी से और तंवर छतरपुर से चुनाव लड़ रहे हैं.

आप ने पार्टी के निवर्तमान विधायक ऋतुराज झा का टिकट काटकर उन्हें किराड़ी सीट से मैदान में उतारा है. अनिल को 2020 में ऋतुराज ने बहुत कम मतों के अंतर से हराया था.

कांग्रेस में रहे नेताओं को भी केजरीवाल ने मैदान में उतारा

अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी ने पूर्व में कांग्रेस में रहे नेताओं को भी मैदान में उतारा है, ये हाल के महीनों में आप में शामिल हुए थे. इन नेताओं के आप में शामिल होने के कुछ ही दिनों बाद पार्टी ने सीमापुरी से वीर सिंह धींगान, मटियाला से सुमेश शौकीन और सीलमपुर से जुबैर अहमद को चुनाव मैदान में उतारा.