आसाराम बापू रेप केस: धीमी सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को लगाई लताड़

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रेप के आरोपी आसाराम बापू के मामले में दखल देने को लेकर गुजरात सरकार की खिंचाई की। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि आज तक रेप पीड़िता की जांच क्यों नहीं की गई। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा कि मामले की सुनवाई में देरी क्यों हो रही है? शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार को कहा है कि हलफनामा दायर कर केस की प्रगति के बारे में बताएं। मामले की सुनवाई दीवाली के बाद होगी> दरअसल नाबालिग से रेप का मामले में 12 अप्रैल 2017 को सु्प्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से कहा था कि आसाराम के खिलाफ ट्रायल को लटकाए ना रखे। इस मामले में प्रैक्टिकली संभव हो सके, गवाहों के बयान दर्ज कराएं जाएं क्योंकि आसाराम लंबे वक्त से जेल में है।

अप्रैल में पूर्व चीफ जस्टिस जेएस खेहर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस के कौल की बेंच ने गुजरात में मुकदमे की सुनवाई करने को कहा था, ताकि मामले में तेजी आ सके। गुजरात सरकार की ओर से पेश अडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 29 अभियोजन पक्ष के गवाहों की जांच हो चुकी है और 46 गवाहों के बयानों को अभी दर्ज किया जाना बाकी है।  इस बीच दो गवाहों की हत्या कर दी गई और कई जख्मी हुए हैं।

वहीं आसाराम की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट सरकार को आदेश दे कि गवाहों के बयान दर्ज कराने की प्रक्रिया में तेजी लाए जाए। साथ ही खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर बेल की याचिका दायर की गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जब तक केस के गवाहों के बयान ट्रायल कोर्ट में दर्ज नहीं हो जाते, वो मामले की सुनवाई नहीं करेगा। आसाराम 2013 से जेल में बंद हैं। उन पर  यौन उत्पीड़न के दो मामले चल रहे हैं, जिनमें से एक राजस्थान और दूसरा गुजरात का है।

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