आसियान शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, समुद्री सुरक्षा और शांति पर ध्यान जरूरी
आसियान शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र में गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समुद्री सुरक्षा, शांति, क्षेत्रीय संतुलन और नौवहन की स्वतंत्रता की बात उठाई। भारतीय उपमहाद्वीप और हिंद महासागरीय क्षेत्र में चीन की बढ़ती आर्थिक और वित्तीय दखलंदाजी के मद्देनजर उन्होंने कहा कि समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा पर ध्यान देना होगा। चीन को कड़ा संकेत देते हुए उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर भारत आसियान देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि शांति और बराबरी के समाज को लेकर आसियान का दृष्टिकोण भारत की तरह है। व्यवस्था आधारित समाज और शांति के मूल्य के आसियान के नजरिए को भारत साझा करता है। महासागरीय क्षेत्र में मिलकर काम करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। समुद्री सुरक्षा सहयोग हमारी चर्चाओं में मुख्य मुद्दा है।
उन्होंने आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत करते हुए कहा, आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में आप सभी का स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है। हमारी यह साझा यात्रा हजारों साल से चली आ रही है। यह भारत के लिए सौभाग्य की बात है कि वह आसियान नेताओं की मेहमाननवाजी कर रहा है। आप सभी आसियान नेता गणतंत्र दिवस के मौके पर हमारे अतिथि होंगे। आसियान देशों में इंडोनेशिया, सिंगापुर, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रूनेई, थाइलैंड, कंबोडिया, लाओस, म्यांमा और वियतनाम शामिल है।
भारत और आसियान देशों का गठबंधन 1992 से चला आ रहा है। मोदी ने कहा कि जब से हमारी साझेदारी विकसित हुई है, तबसे हमने पांच साल की कार्ययोजना के जरिए शांति, प्रगति और साझा समृद्धि के लिए आसियान भारत के उद्देश्यों को लागू करने में सफलता हासिल की है। उन्होंने याद दिलाया कि प्राचीन महाकाव्य रामायण में आसियान और भारतीय उपमहाद्वीप के बीच अहम साझा विरासत दर्शाया गया है। बौद्ध धर्म हमें भी करीब से बांधे रखता है। दक्षिण पूर्वी एशिया के कई हिस्सों में इस्लाम में विशिष्ट भारतीय संबंध कई सदियों से देखने को मिल रहे हैं। मोदी ने कहा कि भारत आसियान के मूल सिद्धांत शांति और सामाजिक सद्भाव के हैं। हम आसियान के साथ संबंधों को आगे बढ़ाना चाहते हैं। पिछले 25 साल में हमारा व्यापार 25 गुना बढ़ा है।
भारत-आसियान संबंधों के 25 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित शिखर बैठक में सभी 10 देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए। ये सभी शुक्रवार को गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे। गुरुवार को दोपहर में इन नेताओं के सम्मान में राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन में भोज दिया। एशिया के सबसे मजबूत संगठन आसियान के दस सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ प्रधानमंत्री मोदी की इस बैठक पर एशिया ही नहीं, दूसरे महाद्वीपों के देशों की भी नजरें टिकी हुई हैं। चीन की बढ़ती ताकत के खिलाफ एशिया में हो रही लामबंदी को देखते हुए इस बैठक की अहमियत तो है ही, भारत इन देशों के रक्षा क्षेत्र में अपना बड़ा बाजार भी देख रहा है। वित्त मंत्रालय में सचिव (पूर्व) प्रीति शरण के अनुसार, वर्ष 2012 से ही भारत और आसियान देशों के बीच रणनीतिक संबंध है। इन देशों में रक्षा क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं।