इंस्टेंट ट्रिपल तलाक देने पर पति को हो सकती है 3 साल की जेल: ड्राफ्ट लॉ

सुप्रीम कोर्ट द्वारा छह महीने में इंस्टेंट तलाक पर कानून बनाने के आदेश के बाद केंद्र सरकार द्वारा बिल का ड्राफ्ट लॉ तैयार किया गया है। इस ड्राफ्ट के अनुसार अगर कोई भी पुरुष अपनी पत्नी को इंस्टेंट तलाक देता है तो उसे तीन साल तक की जेल हो सकती है। प्रस्तावित कानून में इंस्टेंट तलाक को गैरजमानती और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। ‘मुस्लिम वुमन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज बिल’ के ड्राफ्ट को इंटर-मिनिस्टर ग्रुप द्वारा तैयार किया गया है जिसका नेतृत्व गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने किया था। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार इस ड्राफ्ट लॉ को शुक्रवार को राज्य सरकारों को भेज दिया गया। एक बार इस ड्राफ्ट पर राज्य सरकारों की प्रतिक्रिया मिल जाएगी तो कानून मंत्रालय इस प्रस्ताव को कैबिनेट में रखेगा।

इस ड्राफ्ट लॉ के तहत अगर कोई भी पुरुष अपनी पत्नी को बोलकर, लिखित, या ईमेल, मैसेज और व्हाट्सऐप जैसे इलैक्ट्रोनिक माध्यम से इंस्टेंट तीन तलाक देता है तो उसे गलत और गैरकानूनी माना जाएगा। यह प्रस्तावित कानून केवल इंस्टेंट तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत के लिए ही मान्य होगा। इतना ही नहीं इस प्रस्ताव के पास होने के बाद यह पीड़िता को अपने और अपने बच्चों के लिए गुजारा भत्ते की मांग के लिए मजिस्ट्रेट तक पहुंचाने में मदद करेगा। मजिस्ट्रेट द्वारा इस मुद्दे पर आखिरी फैसला लेने के बाद पीड़िता को अपने नाबालिग बच्चों की कस्टडी प्राप्त करने के लिए आसानी से इजाजत मिल सकती है।

पीटीआई से बातचीत के दौरान एक सरकारी पदाधिकारी ने बताया कि इस प्रस्ताव में गुजारा भत्ता और बच्चों की कस्टडी का प्रावधान इसलिए रखा गया है ताकि अगर पीड़िता का पति उसे घर से निकालने की बात कह दे तो उसे कानूनी संरक्षण मिल सके। अधिकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार का इस प्रथा को पूर्ण से खत्म करने का विचार था लेकिन यह प्रथा अभी भी जारी है।

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