इटावाः चंबल में तेंदुओं से दहशत
दुर्लभ जलचरों और वन्यजीवों के संरक्षण के लिहाज से स्थापित किए गए राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य मे तेंदुओं ने दहशत मची रखी है। तेंदुए अब तो बीहड़ से निकल कर गांव और शहर में पहुंच रहे हैं।
इटावा सफारी पार्क में घुसा तेंदुआ कुनबा
वैसे इटावा सफारी पार्क मे तेंदुओं के लिए अलग से लैपर्ड सफारी का निर्माण किया गया है लेकिन अभी शासन स्तर से यहां पर तेंदुओं को नही लाया गया है। इसी बीच 14 जनवरी को इटावा सफारी पार्क मे तेंदुए का कुनबा घुस जाने से हड़कंप मचा हुआ है। अफसरों ने सफारी में दो तेंदुओं नर और मादा के आने की पुष्टि की है। तेंदुओं को खोजने के लिए ड्रोन कैमरे की भी मदद ली जा रही है।
आधा दर्जन टीमें तैनात
इटावा सफारी पार्क में तेंदुओं के घुसने की तस्दीक तब हुई जब यमुना नदी के किनारे स्थित गांवों की ओर दो नीलगायों को मारने के बाद सफारी मे तेंदुआ आ बैठा। उसके पैरों के निशान मिले। इसके बाद से सफारी प्रशासन सतर्क हो गया है। आधा दर्जन टीमें इस तेंदुए को पकड़ने के लिए बनाई गई हैं। सभी को तेंदुओं को बेहोश करने की दवा भी दी गई है। सफारी के अफसरों ने हर हाल में तेंदुए को जिंदा ही पकड़ने के सख्त निर्देश दिए हैं। पार्क में घुसे तेंदुए को पकड़ने के लिए विभाग के उच्चाधिकारियों के निर्देश पर तीन पिंजड़ों को भी मंगा लिया गया है।
आसपास के गांवों में भी देखे जाते रहे हैं
सफारी पार्क के आसपास के गांवों में भी तेंदुओं को देखा जाता रहा है। इनके पद्चिन्हों से भी यह अनुमान लगाया जाता रहा है कि तेंदुआ गांव में आया था। इस क्षेत्र के आसपास मोहल्ला लालपुरा, पजैया, यमुना तरहटी, बरहीपुरा, घटिया मिश्रन, टीटी तिराहा, सुनवारा, धूमनपुरा, छिपैटी, बाइस ख्वाजा रोड,जुहाना, लुहन्ना, सारंगपुरा के लोग भी दहशत में हैं।
बीहड़ क्षेत्र में चार महीने पहले ही मिला था तेंदुआ
इटावा शहर से कुछ दूरी पर यमुना चंबल के बीहड़ी गांवों में तेंदुआ मिलना कोई नई बात नहीं है। यहां पहले भी तेंदुए मिलते रहे हैं। अभी दो मार्च को ही तारों में उलझ कर दो तेंदुओं की मौत सहसों इलाके के विंडवा खुर्द गांव में हो गई थी। बीते साल 24 सितंबर को बीहड़ी क्षेत्र के गांव पिपरौली गढ़िया में एक तेंदुआ पकड़ा गया था उसे सफारी पार्क में रखा गया था जहां 28 सितंबर को उसकी मौत हो गई थी। वर्ष 2007 में भी चकरनगर क्षेत्र के गांव जगतौली में एक तेंदुए की करंट लगने से मौत हो गई थी।
बड़ी संख्या में है यह वन्यजीव
चंबल के बीहड़ों में तेंदुए के एक दो नहीं बल्कि कम से कम दस परिवार होने की संभावना है। पिछले दिनों वन विभाग के कर्मचारियों ने ही इस क्षेत्र के गांव जरहौली व मिहौली में तेंदुए के दो से तीन जोड़े देखे हैं। उनका यह भी कहना है कि यह तेंदुए उनसे ज्यादा दूर नहीं थे और खामोशी से निकल गए।
तालाबों के खत्म होने से भटक रहे हैं
पहले बीहड़ी क्षेत्र में तालाब भी थे और गड्ढे भी थे जिनमें पानी पीने के लिए मिल जाता था लेकिन बीहड़ी क्षेत्र में भी लोगों की घुसपैठ के कारण तालाब खत्म हो गए हैं।
तेंदुआ या इस तरह के अन्य जानवरों को जब जंगल में पानी नहीं मिलता है और भोजन भी नहीं मिलता है, तब जंगली जीव खाना और पानी की तलाश में भटकते हुए वन क्षेत्र से निकलकर शहरी क्षेत्र में आ जाते हैं।