इटावा- सफारी पार्क के बजट पर हुआ ‘वज्रपात’

यहां स्थापित किए जा रहे इटावा सफारी पार्क के बुरे दिन शुरू हो गए हैं। नई सरकार आने के बाद से इस पार्क के लिए तय पूरे 100 करोड़ रुपए नहीं मिल पाए हैं जबकि पूर्ववर्ती सरकार ने 80 करोड़ रुपए आवंटित किए थे। इन्हीं 80 करोड़ रुपए के ब्याज से पार्क का खर्चा निकाला जा रहा है।  इटावा सफारी पार्क में शेर, भालूू व हिरणों के भोजन के लिए भी संकट उत्पन्न होने लगा है। इसके पीछे जो कारण बताए गए हैं वे वाकई मे हैरत पैदा करते हैं। असल में उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार ने सफारी पार्क के लिए फूटी कौड़ी भी नहीं दी है। वन्य जीवों भोजन ब्याज से चलाया जा रहा है जबकि सरकार की ओर से सिर्फ कर्मचारियों का वेतन ही आ रहा है ।  पार्क में वन्य जीवों की संख्या में लगातार बढ़ रही है । विभिन्न प्रजातियों के हिरणों की संख्या 44 से बढ़कर 52 हो गई है। इसके साथ ही सफारी में कुछ ओर एंटी लोप प्रजाति के हिरण लाए जाने हैं। यहां सात लैपर्ड आने हैं। इनमें चार कानपुर व तीन लखनऊ के चिड़ियाघरों के हैं। ऐसे में ब्याज की रकम से काम चलाना मुश्किल हो सकता है। सरकार की सोच यह थी कि सफारी पार्क के उद्घाटन के बाद पर्यटक यहां आने लगेंगे। इससे इतनी रकम मिल जाएगी कि वन्य जीवों के खानपान व रखरखाव का खर्चा चलता रहे लेकिन अभी तक इसका उद्घाटन नहीं हो पाया है।

आवास विकास परिषद की दरकार
आवास विकास परिषद के अघिशाषी अभियंता अरविंद कुमार सिंह का कहना है कि इटावा सफारी पार्क को पूरा करने के लिए 20 करोड़ रुपए की दरकार है। पुराने भुगतान के 18 करोड़ रुपए बकाया हैं। और दो करोड़ रुपए से पूरा काम करना है। कई दफा प्रस्ताव भेजे जाने के बाद भी बजट जारी नहीं किया जा रहा है जिससे इटावा सफारी पार्क पूरा नहीं हो पा रहा है।
वन्य जीवों के खानपान की है बेहतर व्यवस्था
इटावा सफारी पार्क के निदेशक पीपी सिंह ने कहा है कि सफारी के वन्य जीवों के खानपान की बेहतर व्यवस्था की जा रही है। उनका रखरखाव भी उचित तरीके से किया जा रहा है ताकि वन्यजीवों को कोई कष्ट न हो। ब्याज से जो रकम आ रही है उससे वन्य जीवों का रखरखाव बेहतर तरीके से किया जा रहा है।

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