इराक में मारे गए भारतीयों के परिवार का दर्द- सरकार ने हमसे पहले दुनिया को खबर दी

इराक में मारे गए एक भारतीय के परिजन ने भारत सरकार के रवैये पर सख्‍त नाराजगी जताई है। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने उन्‍हें बताने से पहले पूरी दुनिया को इसकी सूचना दे दी कि इस्‍लामिक स्‍टेट द्वारा इराक के मोसुल से अगवा भारतीयों की हत्‍या कर दी गई है। विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने मंगलवार (20 मार्च) को संसद में सभी 39 भारतीयों के मारे जाने की पुष्टि की। आईएस आतंकियों द्वारा अगवा किए गए भारतीयों में गुरपिंदर कौर का छोटा भाई मनजिंदर सिंह भी शामिल थे। ‘एनडीटीवी’ के अनुसार, गुरपिंदर को अब भी विश्‍वास नहीं है कि उनके भाई की हत्‍या कर दी गई है। उन्‍होंने कहा, ‘मैंने टीवी पर इसके बारे में देखा। यह बेहद खौफनाक है, क्‍योंकि मेरे सूत्रों का कहना है कि वे सब जीवित हैं। हमलोगों को जानकारी देने से पहले आपने (सरकार) दुनिया को बता दिया कि वे लोग मारे जा चुके हैं। इस खबर को आए घंटों हो गए लेकिन हमलोगों को अब तक इसकी जानकारी नहीं दी गई है। पिछले चार वर्षों से मंत्री हमलोगों से कह रही थीं कि वे सब जिंदा हैं। मुझे नहीं पता कि इनमें से किस बात पर विश्‍वास किया जाए।’ उन्‍होंने भाई की हत्‍या पर प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए इस बात के सबूत मांगे हैं।

गुरपिंदर सरकार द्वारा दी गई जानकारी से हतप्रभ हैं। उन्‍होंने कहा, ‘मैं सुषमा स्‍वराज से बात करने का इंतजार कर रही हूं। मुझे इसकी सूचना नहीं दी गई है। मैंने उन्‍हें (सुषमा स्‍वराज) संसद में बोलते हुए सुना।’ बता दें कि पिछले साल जुलाई में सरकार ने सभी अगवा भारतीयों के जीवित होने की उम्‍मीद जताई थी। विदेश मंत्री ने उस वक्‍त लोकसभा में बयान दिया था कि बिना किसी ठोस साक्ष्‍य के किसी को मृत घोषित करना पाप है और मैं यह पाप नहीं करूंगी। उन पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया गया था, जिसके जवाब में उन्‍होंने यह बयान दिया था। गुरपिंदर का कहना है कि यदि शवों को बरामद कर लिया गया है तो पहले इस बाबत आई जानकारी से क्‍यों इनकार किया गया था? उन्‍होंने बताया कि उनका डीएनए नमूना पिछले साल नवंबर में ही लिया गया था। दूसरी तरफ, विदेश राज्‍यमंत्री वीके सिंह ने बताया कि शवों को 8 से 10 दिनों के अंदर भारत लाया जाएगा। बता दें क‍ि आईएस आतंकियों ने भारतीयों को मोसुल से अगवा कर लिया था। आतंकियों ने जिस वक्‍त इस घटना को अंजाम दिया था, उस वक्‍त इराक का यह प्रमुख शहर उनके कब्‍जे में था। इराकी सेना ने अंतरराष्‍ट्रीय सहयोग की मदद से आईएस को मोसुल से खदेड़ दिया था।

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