इलाहाबाद हाई कोर्ट के अंदर मस्जिद: कोर्ट ने कहा था हटाएं, आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल
इलाहाबाद हाई कोर्ट के परिसर में बनी मस्जिद को अवैध करार देते हुए पिछले साल इसे तोड़ने के आदेश दे दिए गए थे। इसके बाद वक्फ मस्जिद ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटाए थे। इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट और वक्फ मस्जिद को आपस में विवाद सुलाझाने का सुझाव दिया है। वक्फ मस्जिद ने 8 नवंबर, 2017 को इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा तीन महीने में मस्जिद हटाने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज की थी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस ए.एम खानविल्कर और डी.वाय चंद्रचूड़ ने इस मामले को 16 मार्च, 2018 की सुनवाई सूची में रखने का निर्देश दिया है।
इस बीच एक विद्वान वकील दोनों पार्टियों से अगर मुमकिन है तो इस विषय को आपस में सुलझाने को लेकर चर्चा करेगा। वहीं वक्फ मस्जिद की तरफ से इस केस को लड़ रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह ढांचा काफी दशकों से यहीं पर है। वहीं इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हाई कोर्ट के पीछे कई इलाकों में जमीन है और मस्जिद को स्थानंतरित करने के लिए इसके कुछ हिस्से पर विचार किया जा सकता है। वहीं चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा भी स्थानंतरित की बात से सहमत लग रहे थे।
आपको बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया था कि तीन महीने में मस्जिद को हटाकर उस जमीन का कब्जा वापस हाई कोर्ट को सौंप दिया जाए। हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर तय समय सीमा पर अतिक्रमण नहीं हटाया जाता है तो पुलिस बल के जरिए जमीन को अपने कब्जे में ले लिया जाएगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले से वक्फ मस्जिद के लोग खुश नहीं थे और उन्होंने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। गौरतलब है कि वकील अभिषेक शुक्ल ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की जमीन पर अतिक्रमण कर बनाई गई मस्जिद को हटाने को लेकर याचिका दर्ज कराई थी। इसी याचिका को लेकर हाई कोर्ट ने मस्जिद को हटाने के निर्देश दिए थे।