इस्तेमाल हो चुकी बोतलों से नोएडा में तैयार होंगे वर्टिकल गार्डन
प्लास्टिक की बोतलों से शहर में वर्टिकल गार्डन बनाए जाएंगे। इस्तेमाल हो चुकी प्लास्टिक की बोतलों को आकर्षक रूप से काटकर इनमें पौधे लगाए जाएंगे। अभी तक वर्टिकल गार्डन में गमलों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसकी जगह पर प्लास्टिक बोतलें उपयोग में आएंगी। बोतलों को प्लास्टिक एटीएम में एकत्रित किया जाएगा। जहां इस्तेमाल हो चुकी बोतल को डालने के बदले में उनके मोबाइल पर कूपन का नंबर मिलेगा। इस कूपन को दिखाने पर चुनिंदा जगहों पर खरीदारी में छूट मिलेगी। प्राधिकरण अधिकारियों के मुताबिक प्लास्टिक कचरे में सबसे ज्यादा मात्रा पानी समेत पेय पदार्थों की बोतलों की होती है।
शहर में तीन जगहों पर वर्टिकल गार्डन बनाए गए हैं। सेक्टर-14ए फ्लाईओवर, सेक्टर-15 मेट्रो स्टेशन के नीचे उद्योग मार्ग को जोड़ने वाले खंभों पर इन्हें अभी तक बनाया गया है। 31 अगस्त तक सेक्टर-16 मेट्रो स्टेशन, बॉटैनिकल गार्डन स्टेशन और गोल्फ कोर्स मेट्रो स्टेशन के खंभों पर वर्टिकल गार्डन तैयार करने की तैयारी है। प्राधिकरण की तरफ से वर्टिकल गार्डन तैयार कर रहे ठेकेदारों को इसके बाबत निर्देश जारी कर दिए गए हैं। उद्योग विशेषज्ञ भी इस मुहिम का स्वागत कर रहे हैं। इससे लोगों में जागरूकता बढ़ेगी। उसके साथ ही लोग रसोई गार्डन, रूफ (छत) गार्डन और वर्टिकल (खड़े) गार्डन के प्रति जागरुक भी होंगे। वे अपने घरों में भी प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल गमले के रूप में कर सकेंगे। हालांकि वर्टिकल गार्डन में गमलों की जगह बोतलों का इस्तेमाल करने की योजना से पहले प्राधिकरण में एक निजी कंपनी ने अपना प्रस्तुतिकरण दिया था। कंपनी शहर के 10 जगहों पर ऐसे एटीएम बूथ लगाने जा रही है। प्लास्टिक एटीएम में एकत्रित होने वाली बोतलों का इस्तेमाल वर्टिकल गार्डन में किया जाएगा। जरूरत होने पर प्लास्टिक की बोतलों का पुर्नचक्रण भी किया जाएगा।
एक लाख से अधिक पौधे लगाए गए
स्वतंत्रता दिवस पर प्राधिकरण ने एक लाख से ज्यादा पौधे लगाए। पौधे रोपित किए जाने के दौरान उनकी फोटो और विडियोग्राफी कराकर आॅनलाइन ब्यौरा भी रखा गया है। इन पौधों का दो साल तक अनुरक्षण कार्य किया जाएगा। मानक से ज्यादा पौधों के मृत होने या मवेशियों से नुकसान पहुंचने पर संबंधित ठेकेदार को भरपाई करनी होगी। प्रत्येक पौधे के अनुरक्षण पर 700 रुपए खर्च होंगे। दो साल तक ठेकेदार स्तर पर अनुरक्षण के बाद पेड़-पौधों की देखभाल प्राधिकरण का उद्यान विभाग करेगा। वहीं, सेक्टर-123 में जिस जगह को मास्टर प्लान में कचरा निस्तारण स्थल के लिए चिन्हित किया गया है, वहां पर शहर की सबसे बड़ी हरित पट्टिका विकसित की जा रही है। यहां 5-8 फीट ऊंचे पेड़ रोपे गए हैं।