इस जहाज पर लदा था मुकेश अंबानी की संपत्ति से भी तीन गुनी कीमत का सोना!
दक्षिण कोरिया की एक रेस्क्यू टीम ने एक ऐसे जहाज का मलबा समंदर की गहराइयों में खोजा है जिस मुकेश अंबानी की जायदाद का तिगुना सोना लदा था। 1905 में जापान-रूस युद्ध के दौरान जापानी हाथों में ये जहाज ना पड़ जाए इसलिए इसे समंदर में डूबा दिया गया था। जहाज का नाम डिमिट्री डोंसकोई है, और 113 साल बाद इसका पता लग पाया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी की संपत्ति 44.3 बिलियन डॉलर है। जबकि इस जहाज पर लदे सोने का वर्तमान मूल्य लगभग 133 बिलियन डॉलर है। इस जहाज की खोज के बाद रूस में अभियान चलाया जा रहा है और मांग की जा रही है कि सारा खजाना रूस को वापस कर दिया जाए। इस जहाज को खोजने के लिए गोताखोर सालों से कोशिश कर रहे थे। आखिरकार 14 जुलाई को दक्षिण कोरिया के समुद्री तट उल्लेउनगडो के पास धरती से 434 मीटर नीचे इस जहाज के मलबे का पता चला। खोज करने वाली टीम ने कहा कि मलबा डिमिट्री डोंसकोई जहाज का ही है इसकी पुष्टि करने से पहले उन्होंने जहाज के मलबे का अध्ययन किया। जब गोताखोरों की टीम ने जहाज पर डोंसकोई लिखा देखा तो वे आश्वस्त हो गये कि ये वही खजाना है जिसकी वो खोज कर रहे थे।
गोताखोरों का कहना है कि जहाज का निचला हिस्सा तो खराब हो गया है लेकिन ऊपरी डेक अभी भी ठीक है। जहाज पर लगाये गये हथियार अभी साफ देखे जा सकते हैं, इस पर लगाई गईं तोपें, मशीन गन, एंकर, स्टीयरिंग व्हील भले ही पानी में जंग खा रहे हों लेकिन उनका ढांचा अभी भी मौजूद है। समुद्र तल से इस जहाज को बाहर निकालने के लिए चीन, कनाडा और ब्रिटेन की कंपनियों से बात की जा रही है। एक अंदाज के मुताबिक जहाज पर 200 टन सोना लदा था।
बता दें कि डोंसकोई जहाज को 1883 में लॉंच किया गया था। इस जहाज का इस्तेमाल भूमध्य सागर में हुआ। 1904 में रूस ने इस शिप को जापान की ओर लगाया। मई 1905 में जब समंदर में इस जहाज को जापान की नौसेना ने देखा तो इस शिप पर कब्जे की कोशिश हुई। इसके बाद दोनों देशों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। इसे सुशिमा वार के नाम से जाना जाता है। युद्ध में रूस को भयानक नुकसान हुआ। उसके 4500 सैनिक मारे गये, 38 में से 21 जहाज डूब गये। हालांकि डोंसकोई युद्धक्षेत्र से भागने में कामयाब रहा, लेकिन जापानी सैनिकों ने इसे फिर घेर लिया। फिर लड़ाई हुई जहाज पर सवार 60 सदस्य मारे गये। रूसियों ने जापानियों के सामने सरेंडर कर दिया। लेकिन इससे पहले रूसियों ने इस जहाज को जान बूझकर समुद्र में डूबा दिया। अक्टूबर-नवंबर में इस जहाज को समुद्र तल से बाहर निकालने की कोशिश की जाएगी। ऐतिहासिक धरोहरों में दिलचस्पी रखने वाले दुनिया के लोगों को इसका इंतजार है।