उत्तराखंड: राजमार्ग घोटाले में दो अफसरों को एसआइटी नोटिस
उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 74 के घोटाले का जिन्न अभी तक शांत नहीं हुआ है। यह घोटाला 300 करोड़ों रुपए तक पहुंचने का अनुमान है। अब तक इस घोटाले में शामिल सरकारी अधिकारी, ठेकेदार और उनसे जुड़े अन्य लोग राज्य सरकार के खजाने से जारी हुए करीब 206 करोड रुपए हड़प चुके हैं। इस मामले में अब तक 22 लोग गिरफ्तार किए गए हैं तथा 6 पीसीएस अधिकारी निलंबित किए जा चुके हैं, जबकि दो आइएएस अधिकारियों को इस मामले की जांच कर रही उत्तराखंड पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआइटी) नोटिस भेज चुकी है, जिनमें उधम सिंह नगर जिले के पूर्व जिलाधिकारी पंकज कुमार पांडे और चंद्रेश यादव शामिल हैं। ये दोनों अधिकारी इस समय शासन में प्रभारी सचिव और अपर सचिव के पदों पर तैनात हैं। उधम सिंह नगर के जिला अधिकारी के तौर पर इन दोनों ने आर्बिट्रेटर की भूमिका निभाई थी। वैसे पंकज कुमार पांडे और चंद्रेश यादव ने विशेष जांच दल को अपना पक्ष रखे जाने से पहले अपनी बात लिखित रूप में शासन को भेज दी है।
प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि जब राज्य सरकार बिना किसी सुनवाई के 5 पीसीएस अधिकारियों को इस घोटाले में आरोप लगने पर निलंबित कर सकती है तो वह दो आइएएस अधिकारियों के निलंबन की कार्यवाही क्यों नहीं कर रही है। जाहिर है सूबे की सरकार कहीं ना कहीं इन अफसरों का बचाव कर रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग घोटाला 2012 से 2016 के बीच हुआ था। तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर इंदिरा हृदयेश का कहना है कि यह घोटाला सामने आने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीबीआई जांच की घोषणा की थी परंतु केंद्र के दबाव में यह जांच खटाई में पड़ गई और अब सिर्फ लीपापोती की जा रही है। इस घोटाले में मोटी रकम हड़पने वाले कई लोगों की आयकर विभाग ने कुंडली खंगालनी शुरू कर दी है और घोटालेबाजों को जल्दी ही नोटिस थमाने की तैयारी है। आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक विभाग ने कई ऐसे बैंक खाते और दस्तावेज चिन्हित किए हैं जिनमें मोटा लेन-देन भी हुआ।
उत्तराखंड के मुख्य आयकर आयुक्त ने इस मामले में विशेष जांच दल से दस्तावेज मांगे हैं। राज्य के मुख्य आयकर आयुक्त प्रमोद कुमार गुप्ता का कहना है कि जल्दी इस मामले में जानकारी मिल जाएगी और उसके बाद तत्काल कार्रवाई की जाएगी। एक मार्च 2017 को इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ था। एनएच घोटाला 74 में बड़े-बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से मुआवजे की बंदरबाट जमकर हुई। घोटाले से जुड़े अफसरों ने सरकारी पंचायत घर, सरकारी भूमि, राजकीय प्राथमिक विद्यालय की जमीन के कब्जेदारों तक को मुआवजा बांटा। एसआइटी के सूत्रों के मुताबिक इस बात की पुष्टि हुई है कि जमीन के सरकारी होने की बात मालूम होते हुए भी मुआवजा दिया गया। सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की बजाय उन्हें सरकारी खजाने से मुआवजा तक दे दिया गया। एसआइटी के सूत्रों के मुताबिक आर्बिट्रेशन में किसी काश्तकार का मुआवजा बढ़ा दिया जाता है तो राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) जिले के न्यायालय में इसके खिलाफ अपील करता है। परंतु 300 करोड़ के घोटाले में एक-दो मामलों को छोड़कर अन्य मामलों में किसी भी अदालत में अपील नहीं की गई।
जब यह घोटाला सामने आया तो एसआइटी की सख्ती के बाद कुछ काश्तकारों ने गलत तरीके से हासिल की गई मुआवजे की रकम वापस करनी शुरू कर दी। राज्य सरकार ने उधम सिंह नगर के जिलाधिकारी को आदेश दिया कि गलत तरीके से मुआवजा हासिल करने वालों को सरकारी रकम वापस लौटाने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में खाता खोला जाए। खाता खुल जाने पर कई किसानों ने फालतू मिला मुआवजा जमा करना शुरू कर दिया। अब तक सितारगंज ,काशीपुर,बाजपुर, जसपुर और गदरपुर के 10 से ज्यादा किसानों ने एक करोड़ 94 लाख रुपए लौटा दिए हैं।