उत्तर कोरिया की अमेरिका को धमकी- ऐसा दर्द और तकलीफ देंगे जो इतिहास में कभी नहीं झेला होगा
उत्तर कोरिया के छठे परमाणु परीक्षण के विरोध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसके खिलाफ नए प्रतिबंध लागू करने के अमेरिका के प्रस्ताव के बाद उत्तर कोरिया ने अमेरिका को भारी कीमत चुकाने की धमकी दी है। कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने विदेश मंत्रालय के हवाले से बताया, “अगर अमेरिका द्वारा प्रस्तावित अवैध व गैर-कानूनी कड़े प्रतिबंधों के प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है, तो अमेरिका को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।” समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, मंत्रालय ने अपने बयान में चेतावनी देते हुए कहा, “उत्तर कोरिया किसी भी हद तक जवाबी कदम उठाने के लिए तैयार है।” इस बयान में साथ ही जोर देकर कहा गया है कि “अमेरिका को ऐसे दर्द और तकलीफ से गुजरना पड़ेगा, जो उसने अब तक के अपने इतिहास में कभी नहीं झेला होगा।
उत्तर कोरिया के मुताबिक, अमेरिका उसके (उत्तर कोरिया) वैध आत्मरक्षक कदमों का विरोध करने के बहाने उस पर पूरी तरह दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। उत्तर कोरिया ने कहा कि उसने कोरियाई प्रायद्वीप पर मंडराते खतरे और अमेरिका के बढ़ते शत्रुताजनक कदमों और परमाणु खतरों से निपटने के लिए बेहद शक्तिशाली थर्मोन्यूक्लियर हथियार विकसित किया है। उत्तर कोरिया ने तीन सितंबर को अपना सबसे शक्तिशाली छठा परमाणु परीक्षण किया था। किम जोंग उन ने इसे उत्तर कोरिया की महान जीत बताया है। अमेरिका ने जापान और दक्षिण कोरिया के समर्थन से उत्तर कोरिया के खिलाफ नए प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर मतदान के लिए सोमवार को सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई है। प्रस्ताव में उत्तर कोरिया को तेल और वस्त्र निर्यात करने और उत्तर कोरियाई नागरिकों के विदेश में काम करने पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव शामिल हैं।
वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को अपने एक बयान में कहा था कि परमाणु हथियारों से लैस उत्तर कोरिया से निपटने के वास्ते सैन्य हमला उनके लिए पहला विकल्प नहीं है। हालांकि उन्होंने इस विकल्प को पूरी तरह खारिज नहीं किया है। ट्रंप की यह टिप्पणी उनके चीनी समकक्ष शी चिनफिंग से टेलीफोन पर हुई बातचीन के दौरान आई। ट्रंप उत्तर कोरिया द्वारा छठा और अपना सबसे शक्तिशाली परमाणु परीक्षण किए जाने के बाद चिनफिंग से कोरियाई प्रायद्वीप के हालात पर चर्चा कर रहे थे। ट्रंप की यह टिप्पणी पिछले महीने उत्तर कोरिया सरकार को दी गई चेतावनी की तुलना में कम तीखी थी।