उद्धव ठाकरे: 6 साल से नहीं बैठे उस कुर्सी पर जिस पर बैठते थे बाला साहब ठाकरे
शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र की राजनीति से लेकर केंद्र की राजनीति तक एक मजबूत शख्सियत बनकर उभरे हैं। उन्हें यह राजनीतिक रसूख विरासत में पिता बाला साहब ठाकरे से मिली है। उद्धव आज (27 जुलाई) 58 साल के हो गए लेकिन पिता की मौत के बाद बीते छह साल में ऐसा एक भी दिन नहीं गुजरा जब उन्होंने बाला साहब ठाकरे को याद न किया हो। यहां तक कि वो पिछले छह साल से उस कुर्सी पर भी नहीं बैठे, जिसपर बाला साहब ठाकरे बैठा करते थे। पिता की मौत के बाद उद्धव ठाकरे ने पिता की एक तस्वीर उस कुर्सी पर स्थापित कर रखी है और उस पर माला चढ़ा रखा है। एक टीवी इंटरव्यू में उद्धव ने कहा था कि वो अभी भी जब घर से बाहर जाते हैं तो कुर्सी पर विराजमान अपने पिता से उसी तरह आशीर्वाद लेकर निकलते हैं, जैसा वो पिता के जीवित रहते हुए किया करते थे। उद्धव कहते हैं कि उनकी जगह कोई नहीं ले सकता। उद्धव इस बात का भी जिक्र करते हैं कि जब वो चुनावी रैलियों से लौटकर आते थे तब बाला साहब पल-पल की खबर लेते थे। भीड़ के बारे में पूछते थे, उनके रिस्पॉन्स के बारे में पूछते थे। साथ ही खाना खाया था या नहीं, कब खाया था, क्या खाया था, इसकी भी जानकारी लेते थे।
बाला साहब ठाकरे की तीन संतानों में सबसे छोटे उद्धव ठाकरे का पहला प्यार राजनीति नहीं एरियल फोटोग्राफी और वाइल्ड फोटोग्राफी रहा है। अभी भी व्यस्त राजनीतिक कार्यक्रमों के बीच वो अपने इस शौक को जिंदा रखे हुए हैं। इसी वजह से हर साल मुंबई में वो अपने फोटो अल्बम की प्रदर्शनी लगाते हैं। उन्होंने साल 2004 में जहांगीर आर्ट गैलरी में फोर्ट ऑफ महाराष्ट्र की एरियल फोटो शॉट्स की प्रदर्शनी लगाई थी। उनकी खींची तस्वीरों की दो किताबें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें ‘महाराष्ट्र देश’ कॉफी टेबल बुक है जबकि दूसरी पुस्तक ‘पहावा विट्ठल’ है। उन्हें प्रकृति प्रेमी माना जाता है। वो अभी भी जब राज्य के दौरे पर निकलते हैं तो उनके साथ कैमरा होता है, जिसमें वो प्राकृतिक छटाओं को कैद करने में आनंद महसूस करते हैं।
पिता बाला साहब ठाकरे मशहूर कार्टूनिस्ट थे। उद्धव उनसे काफी प्रेरित थे। हिन्दुत्व की राजनीति से लेकर पारिवारिक संस्कार के पुट उन्होंने पिता से ही सीखी। साल 2003 में बाला साहब ठाकरे ने उद्धव को शिव सेना का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था। इससे खफा उनके चचेरे भाई राज ठाकरे ने शिव सेना से अलग होकर नई पार्टी (महाराष्ट्र नव निर्माण सेना) बना ली थी। वो क्रिकेट और मनोरंजन में भी विशेष रूचि रखते हैं। कहा जाता है कि अभिनेता सुनील शेट्टी और संजय दत्त उनके बॉलीवुड के दोस्तों में अहम हैं।
उद्धव ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि साल 2006 में जब नर्मदा आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी अनशन पर बैठे थे, तब उन्होंने गांधी नगर पहुंचकर उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन दिया था लेकिन 12 साल बाद सियासत ऐसे मोड़ पर आ पहुंची है कि उद्धव ठाकरे के जन्मदिन पर ही शिव सेना ने नरेंद्र मोदी के संसदीय इलाके में सियासी संग्राम का एलान कर दिया है। शिव सेना ने मुंबई में जगह-जगह ‘चलो अयोध्या, चलो वाराणसी’ का पोस्टर चिपकाया है।