उपचुनाव नतीजे: भाजपा सदमे में तो कांग्रेस जोश में
राजस्थान में तीन उपचुनावों के नतीजों से भाजपा सदमे में तो कांग्रेस जोश में आ गई है। भाजपा ने करारी हार के बाद अब निचले स्तर के नेताओं की बैठकों के दौर शुरू कर नई रणनीति बनाने की तैयारियां शुरू कर दी है। कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि प्रदेश की जनता भाजपा सरकार को बदलने के लिए तैयार बैठी है। इसके चलते ही अब कांग्रेस एकजुटता का संदेश देते हुए चुनावी रणनीति बनाने में जुट गई है। राज्य में चार साल से शासन कर रही भाजपा को दो लोकसभा और एक विधानसभा के उपचुनाव में करारी हार की उम्मीद नहीं थी। इस हार के चलते अब उसे दस महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की चिंता ने घेर लिया है। प्रदेश भाजपा का नेतृत्व सोमवार से ही यहां जमीनी स्तर के जनप्रतिनिधियों और नेताओं के साथ मंथन में जुट गया है। इन नेताओं से पार्टी के जमीनी हालात जानने की कोशिश की जा रही है।
भाजपा ने सोमवार को यहां नगर निकायों के प्रमुखों और जिला अध्यक्षों के साथ लंबी बैठकें कीं। इन बैठकों में उभर कर आया कि सरकार के जमीनी स्तर पर कोई विकास कार्य नहीं दिख रहे है और साथ ही भ्रष्टाचार चरम पर पहुंचने से आम जनता में गहरी नाराजगी पनपी हुई है। ऐसे हालात में पार्टी को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी का कहना है कि मंगलवार को भी पार्टी नेताओं की लंबी बैठक होगी और उसके बाद ही अगली रणनीति तैयार की जाएगी। परनामी ने दावा किया कि भाजपा कार्यकर्ताओं की बदौलत फिर से जीत हासिल करेगी। कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए नेताओं को जमीनी स्तर की समस्याएं सुलझाने के निर्देश दिए गए हैं। दूसरी तरफ, अजमेर और अलवर लोकसभा सीट के साथ ही मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर जोरदार जीत दर्ज करने से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के हौसलें बुलंद हो गए है। कांग्रेस को करीब चार साल बाद प्रदेश में कोई बड़ी जीत हासिल हुई है। इससे ही पार्टी के निचले स्तर के कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हुआ है।
पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं को सिर्फ संदेह अपने नेताओं की गुटबाजी को लेकर ही है। उनका मानना है कि एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरने पर कांग्रेस को आसानी से जीत हासिल हो सकेगी। पार्टी के नेताओं की गुटबाजी को खत्म करने के लिए प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव अवनिाश पांडे ने रणनीति बना कर काम भी शुरू कर दिया है। कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं को शामिल कर एक समन्वय समिति बनाई गई है। पांडे की सोच है कि आगामी विधानसभा चुनाव में यह समन्वय समिति के जरिए ही तमाम रणनीति बनाई जाए। इस समिति की हाल में जयपुर में हुई बैठक में भी नेताओं ने एकजुटता का संदेश दिया। प्रभारी महासचिव पांडे के साथ ही प्रभारी सचिव विवेक बंसल हर वर्ग के नेताओं से संपर्क साधने में लगे हैं।
प्रदेश कांग्रेस में प्रभावशाली पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी पूरी तरह से सक्रिय होकर पार्टी की चुनावी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। कांग्रेस आलाकमान का मानना है कि प्रदेश में गहलोत के अनुभव और सचिन पायलट के जोश के साथ आसानी से फतह हासिल की जा सकती है। गहलोत का पूरे प्रदेश में व्यापक असर है। इस नाते आलाकमान गहलोत को पूरी तरह से राजस्थान में अहम जिम्मेदारी देकर चुनावी अभियान चलाने के पक्ष में है। गहलोत की संगठन क्षमता बेजोड़ होने से आलाकमान उन्हें हर फैसले में भागीदार बनाएगा। गहलोत ने हाल के गुजरात चुनाव में जो करिश्मा दिखाकर भाजपा को घेरा, उससे भी उनका कद बढ़ गया। गहलोत का साफ कहना है कि प्रदेश में भाजपा सरकार की उलटी गिनती शुरू हो गई है। जनता अब सिर्फ चुनावों का इंतजार कर रही है। भाजपा सरकार हर मोर्चे पर नाकाम रही है।