उपचुनाव में मिली हार का ठीकरा कार्यकर्ताओं पर फोड़ने की तैयारी

राजस्थान में दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट की हार का ठीकरा भाजपा में छोटे कार्यकर्ताओं पर फोड़ने की तैयारी की जा रही है। उपचुनाव में करारी हार की जिम्मेदारी से प्रदेश भाजपा नेतृत्व खुद को बचाने में लग गया है। प्रदेश भाजपा में इन दिनों हार को लेकर जो मंथन चल रहा है, उसमें केंद्रीय नेतृत्व के सामने राज्य सरकार की बिगड़ी छवि को बचाने की भूमिका तैयार कर हार के लिए विधायकों और जिलों के नेताओं को कसूरवार ठहराने का खाका तैयार किया गया है। राज्य में विधानसभा चुनाव से ठीक दस महीने पहले हुए अजमेर, अलवर लोकसभा सीट व मांडलगढ़ विधानसभा सीट के उपचुनाव की तगड़ी हार से प्रदेश भाजपा का नेतृत्व तिलमिला गया है। प्रदेश भाजपा के नेतृत्व को यह हार पच नहीं रही और इसका ठीकरा खुद के बजाय निचले स्तर के साथ ही केंद्र सरकार की नीतियों पर फोड़ने की कोशिश की जा रही है। राज्य में चार साल से ज्यादा समय से शासन कर रही भाजपा को उसकी सरकार के रहते ही जनता ने जो आईना दिखाया है, उससे पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी सकते में है। हार को लेकर प्रदेश भाजपा में पिछले तीन दिन से गहन मंथन के दौर चल रहे हैं। उसमें सिर्फ छोटे पदाधिकारियों को ही निशाना बनाया जा रहा है। हार के असली कारण तो भाजपा का हर छोटा कार्यकर्ता जानता है पर उसे दरकिनार कर बडेÞ नेता अपने को बचाने में लगे हैं।

प्रदेश में भाजपा का निचले स्तर का कार्यकर्ता साफ कहता आ रहा है कि उनके इलाके में जिस तरह का सरकारी भ्रष्टाचार है, उससे आम आदमी खासा त्रस्त है। किसी तरह का विकास कार्य और कल्याणकारी योजना का लाभ भी जनता को नहीं मिल रहा है। सरकार की विकास योजना सिर्फ कागजों में और मंत्रियों के भाषण में ही है, इनका धरातल पर कोई नामोनिशान नहीं है। हार के इन कारणों को प्रदेश नेतृत्व कहीं गिन ही नहीं रहा, सिर्फ जिला स्तर के नेताओं को जिम्मेदार ठहराने में लगा है।प्रदेश भाजपा में रविवार को हुई बैठक में भी उपचुनावों में करारी हार का असर साफ दिखा। विधायक कहते रहे कि हालात में बदलाव और सुधार नहीं हुआ तो अगला चुनाव बुरी तरह हारेंगे। इस बैठक में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी भी शामिल हुए।

पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं का मानना है कि बुरी हार के बाद भी नेतृत्व गंभीरता से वास्तविक कारणों का समाधान नहीं कर रहा है। इससे हालात और खराब होंगे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जुलाई में प्रदेश का तीन दिन का दौरा किया था। तब उन्हें बताया गया था कि बूथ स्तर तक मजबूत टीम बना दी गई है। पार्टी ने चुनावों के लिहाज से विस्तारक, प्रचारक और पन्ना प्रमुख बना दिए हैं जो बूथ स्तर पर वोट डलवा देंगे। इसके बावजूद उपचुनावों ने संगठन की इस बूथ मजबूती की पोल खोलकर रख दी।
उपचुनाव में कई ऐसे बूथ निकले, जहां पार्टी को एक भी वोट नहीं मिला। कई पर तो सिर्फ एक ही वोट मिला। इससे साफ हो गया कि अमित शाह के बूथ मैनेजमेंट को प्रदेश नेतृत्व ने किस गंभीरता से लिया।

राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का तो साफ कहना है कि जब तक बूथ पर मजबूत टीम नहीं होगी, तब तक जीत नहीं मिलेगी। शाह के निर्देशों को ही प्रदेश में नेतृत्व ने धता बताया। अलवर क्षेत्र के कई बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार जब कुछ काम करेगी तभी तो पन्ना प्रमुख मतदाताओं को वोट अपने पक्ष में डलवाने का काम करेगा। विकास के काम नहीं होने व भ्रष्टाचार चरम पर होने से ही बूथ पर वोट देने से जनता ने साफ इनकार कर दिया। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता मुकेश चेलावत का कहना है कि पार्टी नए सिरे से संगठन को मजबूत करने में जुट गई है। विधानसभा चुनाव में नए जोश के साथ मैदान में उतरने की तैयारी की जा रही है।

 

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