उपराष्ट्रपति की दो टूक: भारत की एक इंच जमीन भी किसी को नहीं दी जाएगी
पाकिस्तान को एक स्पष्ट संदेश देते हुए उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि भारत की एक इंच जमीन भी किसी को नहीं सौंपी जाएगी। नायडू ने बुधवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के स्थापना दिवस पर आयोजित ‘आर वी राजू स्मृति व्याख्यान’ को संबोधित करते हुए कहा कि पड़ोसी देश जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देना जारी रखे है। उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई भी धर्म आतंकवाद की अनुमति नहीं देता है लेकिन कुछ लोग धर्म के नाम पर कट्टरता पैदा कर रहे हैं और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। गृह मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत और अन्य की मौजूदगी में उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आतंकवाद उनके देश की नीति है। मैं आपको स्पष्ट करना चाहता हूं कि भारत की एक इंच जगह भी किसी को लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी। ऐसा कभी नहीं होगा।’’
नायडू ने कहा है कि लोकतंत्र में असहमति के प्रत्येक विचार का स्वागत किया जाना चाहिए लेकिन देश और समाज को बिखराव की ओर ले जाने वाले स्वर स्वीकार नहीं किए जा सकते। उन्होंने सुरक्षा एवं जांच एजेंसियों से आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए आपसी समन्वय को व्यापक बनाने की जरूरत पर बल दिया। नायडू ने वैश्विक आतंकवाद को सभी देशों के लिए गंभीर चुनौती बताते हुए कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सूचनाओं का आदान-प्रदान बढ़ाना चाहिए।
नायडू ने कहा कि साइबर अपराधों और सोशल मीडिया के दुरुपयोग से नफरत फैलाने वालों को भी आतंक के दायरे से बाहर नहीं रखा जा सकता है। इन गतिविधियों में शामिल लोग दुनिया के किसी भी हिस्से से किसी भी जगह असहमति के नाम पर विखंडनकारी विचारों का प्रसार करते हैं। सुरक्षा एजेंसियों को वैश्विक स्तर पर आपसी सामंजस्य से ऐसे तत्वों की पहचान कर, इन्हें रोकने के उपाय सुनिश्चित करना चाहिए, तब ही सीमाओं के बंधन से परे साइबर आतंकवाद से निपटा जा सकेगा।
इस अवसर पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आतंकवाद के मामलों की जांच पूरी करने में एनआईए को मिल रही 95 प्रतिशत कामयाबी की दर को अन्य एजेंसियों के लिए उल्लेखनीय बताया। उन्होंने कहा कि अपनी स्थापना के महज नौ साल के भीतर एनआईए की इस उपलब्धि का ही नतीजा है कि कश्मीर में पथराव की घटनाओं से लेकर पूरे देश में आतंकवादी वारदातों में कमी आई है। सिंह ने आतंकवाद को वैश्विक चुनौती बताते हुए पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा, ‘‘सभी देशों को इस चुनौती पर मिलकर विजय प्राप्त करना चाहिए, लेकिन विडंबना है कि हमारे एक पड़ोसी सहित कुछ देश आतंकवाद की पनाहगाह बने हुए हैं।’’
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से निपटने में सुरक्षा एजेंसियों को मिली कामयाबी का जिक्र करते हुए सिंह ने सीमापार से प्रायोजित आतंकवाद के बारे में दो टूक संदेश दिया, ‘‘कश्मीर के लोग हमारे थे, हमारे हैं और हमेशा हमारे रहेंगे, दुनिया की कोई ताकत हमसे उन्हें अलग नहीं कर सकेगी।’’ गृह मंत्री ने साइबर अपराधों के लगातार बढ़ते खतरे के प्रति एनआईए को आगाह करते हुए कहा कि साइबर अपराधी तकनीकी तौर पर बेहद उन्नत हैं। उन्होंने कहा कि साइबर संसार सीमाओं से परे है इसलिए एनआईए को इस चुनौती से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर जांच एवं सुरक्षा एजेंसियों के साथ तालमेल बढ़ाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए एनआईए अपनी और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की उन्नत कार्यशैली के आदान-प्रदान का दायरा बढ़ाए। इस दौरान उपराष्ट्रपति ने एनआईए के अधिकारियों को विशिष्ट सेवाओं के लिए साल 2016 और 2017 के राष्ट्रपति मेडल एवं पुलिस मेडल से सम्मानित किया। इनमें हरियाणा काडर के आईपीएस अधिकारी आलोक मित्तल को साल 2016 के लिए और एनआईए के उप पुलिस अधीक्षक सी राधाकृष्णन पिल्लई को साल 2017 के लिए पुलिस पदक से सम्मानित किया गया।