उमा भारती बोलीं- दलितों के घर भोजन नहीं करती, मैं भगवान राम नहीं कि वे पवित्र हो जाएंगे
भाजपा की वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने मध्य प्रदेश के छतरपुर में दलितों के साथ भोजन करने को लेकर एक बयान दिया है। उन्होंने नौगांव के ददरी गांव में लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं दलितों के घर में भोजन करने नहीं जाती। हालांकि, मैं इसका समर्थन करती हूं। मैं अलग से भोजन करने जाती हूं या दलित समुदाय के लोगों को अपने घर में भोजन कराती हूं। मैं भगवान राम नहीं कि उनके साथ भोजन करेंगे वे पवित्र हो जाएंगे, बल्कि वे जब हमारे घर में आकर हमारे रसोई में बैठकर भोजन करेंगे तब हम पवित्र हो पाएंगे। मैं कभी सामाजिक समरसता भोजन में भाग नहीं लेती, क्योंकि मैं अपने आप को भगवान राम नहीं मानती कि शबरी के घर जाकर भोजन किया तो दलित पवित्र हो जाएंगे। दलित जब मेरे घर में आकर भोजन करेंगे और मैं उन्हें अपने हाथों से खाना परोसूंगी तब मेरा घर धन्य हो जाएगा, मेरे बर्तन धन्य हो जाएंगे, मेरा पूजाघर धन्य हो जाएगा। लेकिन, मैं आज आपके साथ बैठकर भोजन नहीं कर पाऊंगी, क्योंकि मैंने भोजन कर लिया है।’ केंद्रीय मंत्री ने दलितों को दिल्ली आने का निमंत्रण देते हुए कहा कि वहां वह उन्हें भोजना काएंगीं। उमा भारती ने कहा कि उनके भतीजे की पत्नी खाना पकाएंगी और वह खुद उन्हें खाना परोसेंगी एवं उनका भतीजा उनके जूठे बर्तनों को साफ करेगा तब वह पवित्र होंगी।
दलितों के साथ भोजन करने को लेकर उमा भारती द्वारा दिये गये एक बयान पर विवाद हो गया। बाद में उनकी ओर से सफाई भी जारी की गई।
Posted by Jansatta on Tuesday, May 1, 2018
बाद में दी सफाई: छतरपुर में दलितों को लेकर दिए गए बयान पर विवाद के बाद उमा भारती के कार्यालय की ओर एक बयान जारी कर सफाई दी गई है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि उन्हें नौगांव में समरसता भोज की जानकारी पहले से नहीं थी। बयान के मुताबिक, उन्हें छतरपुर से तकरीबन डेढ़ सौ किलोमीटर दूर पपोड़ा (टीकमगढ़ जिला) जाना था। इसके कारण वह वहां मौजूद लोगों से क्षमा-याचना कर पपोड़ा के लिए रवाना हो गईं। बयान में कहा गया, ‘वो जमाना चला गया जब दलितों के घर में बैठकर भोजन करना सामाजिक समरसता का सूत्र था। अब तो राजनीति में जो दलितों के साथ भेदभाव होता है, उसमें समरसता लानी पड़ेगी। आर्थिक उत्थान, सामाजिक सम्मान और शासन-प्रशासन में बराबरी की भागीदारी ही सामाजिक समरसता का मूलमंत्र है।’ उमा भारती का यह रवैया ऐसे समय सामने आया है, जब पिछले महीने दलितों के प्रदर्शन के बाद भाजपा आलाकमान के निर्देश के बाद पार्टी नेता और मंत्री दलित प्रेम दिखा रहे हैं।