एक बार के संसर्ग से 500 अंडे देती है मादा मच्छर, जो पलते हैं इंसानों के खून से
अगर आप सोचते हैं कि इंसानों की सेक्स लाइफ उलझी हुई होती है, तो आप गलत हैं। इंसान से अधिक मच्छरों के यौन संबंध कौलुहल का विषय हैं, जो जीका वायरस, डेंगू और मलेरिया सरीखी घातक बीमारियों को जन्म देते हैं। मच्छरों का जीवनकाल बेहद सीमित होता है। नर मच्छर जहां 10 दिनों के मेहमान होते हैं। वहीं, मादा मच्छर 40 से 50 दिन जीती हैं। रोचक बात है कि मादा मच्छर अपनी जिंदगी में सिर्फ एक बार संसर्ग (शारीरिक संबंध) करती है और एक बार में तकरीबन 200 से 500 अंडे देती है। खास बात है कि ये अंडे यानी जन्म लेने वाले नए मच्छर इंसानों के खून से पलते हैं। मादा मच्छर के लिए इंसानों का खून ही खाना होता है। लेकिन यही सारी बीमारियों के पीछे की वजह है। दुनिया भर में वैज्ञानिक सालों से इनकी संख्या पर काबू पाने के लिए शोध कर रहे हैं। मादा मच्छर भले ही जीवन में एक बार संभोग करती है। मगर नर मच्छर एक से अधिक बार मिलन में शामिल होते हैं। ये मादा मच्छरों को उनके पंखों की आवाज से तलाशते हैं, जिनकी आवाज प्रति मिनट 250 से 500 बार आती है। नर और मादा इसके बाद मिलन की प्रक्रिया में शामिल होते हैं। नर इस दौरान अपना स्पर्म मादा में पास करते हैं। संबंध बनाने के बाद नर मच्छर सिर्फ तीन से पांच दिन ही जीवित रहता है।
मच्छरों का मिलन अधिकतम 15 सेकेंड्स तक होता है। ये हवा में संबंध बनाते हैं या फिर जमीन पर मिलन करते हैं। मादा मिलन के बाद एक बार में 500 अंडे तक देती है। संबंध बनाने के दौरान नर मच्छर के शरीर से मादा में एक प्रोटीन ट्रांसफर होता है। यह उसके मिलन के बर्ताव को भी प्रभावित करता है, जिसके कारण जीका और डेंगू जैसी बीमारियां फैलती हैं।