एक महीने में दूसरी बार नीतीश ने कहा- सत्ता रहे या जाय, उसूलों से नहीं करूंगा समझौता

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार (14 अप्रैल) को खुले आम कहा कि किसी भी राजनीतिक दल में इतनी ताकत नहीं है कि पिछड़े और दलित वर्ग को मिल रहे आरक्षण को खत्म कर दे। डॉ़. भीमराव अंबेडकर की 127वीं जयंती पर आयोजित समारोह में उन्होंने विपक्षियों पर भी निशाना साधते हुए कहा, “हमलोग बयानबाजी पर नहीं, काम करने पर विश्वास करते हैं।” पटना में जनता दल (युनाइटेड) द्वारा आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री ने आरक्षण समाप्त करने को असंभव बताते हुए कहा कि इतनी ताकत किसी में नहीं कि वह आरक्षण समाप्त कर दे। उन्होंने कहा, “मुझे काम के लिए किसी से प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं है। मैं किसी से तकरार या बेवजह बयानबाजी से दूर रहता हूं। मुझे काम करने पर विश्वास है।”

नीतीश ने पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि सभी लोगों का काम करने का अपना तरीका है। कुछ लोग जोर-जोर से भाषण देते रहेंगे, रोज बयान देते रहेंगे। दिनभर में 10 बयान देंगे। अब तो सोशल मीडिया आ गया है, उस पर दिनभर में 10 ट्वीट करेंगे। इसके बाद यह सब समाचार पत्रों और टीवी चैनलों में चला जाएगा।

उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आज की युवा पीढ़ी को अंबेडकर के प्रति आकर्षण पैदा हुआ है। उन्होंने यह बात फिर दोहराई, “हम सत्ता की चिंता नहीं करते, लोगों की चिंता करते हैं। सत्ता रहे या जाए, बुनियादी उसूलों से कभी समझौता न किया न ही करूंगा।” बता दें कि रामनवमी के आसपास राज्य के कई जिलों में फैली साम्प्रदायिक हिंसा पर सहयोगी दल के नेताओं पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा था कि जब भ्रष्टाचार से समझौता नहीं किया तो साम्प्रदायिकता से भी समझौता करने वाला नहीं हूं। उन्होंने तब भी कहा था कि राज्य में कानून का राज कायम करने में वो अपने उसूलों से कोई समझौता नहीं करेंगे, भले ही उनकी कुर्सी रहे या चली जाय। नीतीश कुमार की पहचान सुशासन बाबू के रूप में रही है लेकिन हाल के दिनों में राज्य में हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। विपक्ष नीतीश कुमार पर आरोप लगाता रहा है कि बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार चलाने वाली नीतीश कुमार दवाब में हैं।

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