एक मां की सुप्रीम कोर्ट से गुहार, पहली शादी से जन्मे बेटे को गोद लेने की मांगी इजाजत,

पूर्व पति द्वारा बार-बार और लगातार उत्पीड़न से परेशान दिव्या ज्योति सिंह ने HAMA की धारा 9(2) का पालन किए बिना, सौतेले पिता के साथ अपने बेटे को गोद लेने की अदालत से अनुमति मांगी. इस नियम के तहत बच्चे को गोद देने के लिए जैविक पिता की सहमति अनिवार्य है.

सुप्रीम कोर्ट के सामने एक अजब मामला सामने आया है. अपने तरह के एक अलग मामले में दोबारा शादी कर चुकी एक तलाकशुदा महिला सुप्रीम कोर्ट पहुंची है और अपनी पहली शादी से जन्मे बेटे को गोद लेने की गुहार लगाई है. महिला का कहना है कि हालांकि, हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम (HAMA) के तहत ये अनिवार्य है कि इसके लिए जैविक पिता की सहमति जरूरी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट आदेश दे कि इसके बिना भी महिला अपने दूसरे पति के साथ इस बेटे को गोद ले सकती है.  

प्रेग्‍नेंसी में पति को छोड़ा था

याचिकाकर्ता दिव्या ज्योति सिंह की ओर से पेश वकील वंशजा शुक्ला ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के सामने ये केस रखा. पीठ ने उनके पूर्व पति को नोटिस जारी किया कर जवाब मांगा है. याचिका में कहा गया है उनकी शादी नवंबर 2013 में हुई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि सितंबर 2015 में जब वह गर्भावस्था के अंतिम चरण में थीं, तब उनके पति ने उन्हें छोड़ दिया. 

पति को होटल में पकड़ा था!

दिव्‍या ने बताया कि उसने अपने माता-पिता और भाई के साथ मिलकर 2016 में अपने पति और भाई की पत्नी को एक होटल में पकड़ा था. अक्टूबर 2015 में उनके बेटे के जन्म के बाद  पति एक बार भी उनसे मिलने नहीं आया. दोनों पक्षों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ क्रॉस केस दायर करने के बाद, सितंबर 2016 में एक फैमिली कोर्ट ने आपसी सहमति से उन्हें तलाक दे दिया. शुक्ला ने बताया कि सिंह ने 2020 में दोबारा शादी कर ली और उनके पति और परिवार ने उनके बच्चे को स्वीकार करने पर सहमति जताई. बेहद तनाव, दर्द और पीड़ा से गुजरने के बावजूद दोबारा शादी करने का फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि वह बच्चे को सामान्य और स्वस्थ परवरिश देना चाहती थीं. 


सुप्रीम कोर्ट ने उठाया ये सवाल..?

अपने पूर्व पति द्वारा बार-बार और लगातार उत्पीड़न का उल्लेख करते हुए, दिव्या ज्योति सिंह ने HAMA की धारा 9(2) का पालन किए बिना, सौतेले पिता के साथ अपने बेटे को गोद लेने की अदालत से अनुमति मांगी. इस नियम के तहत बच्चे को गोद देने के लिए जैविक पिता की सहमति अनिवार्य है. सुनवाई के दौरान सीजेआई की बेंच ने कहा कि जब कानून जैविक पिता की सहमति को अनिवार्य बनाता है, तो हम उसे बच्चे की कस्टडी छोड़ने के लिए कैसे मजबूर कर सकते हैं? हम नोटिस जारी करेंगे, पूर्व पति से दो हफ्ते में जवाब मांगा गया है. दिल्ली पुलिस के क्षेत्राधिकार वाले SHO को पूर्व पति को नोटिस तामील करने के लिए कहा गया है.