एक सौ अड़तालीस साल का हो गया है पोस्ट कार्ड का सफर
आज तेजी से दौड़ती जिंदगी में संदेशों ने भी रफ्तार पकड़ ली है। ईमेल, एसएमएस, ट्विटर, वाट्सऐप और फेसबुक के आने के बाद चुटकी बजाते ही आप किसी को भी अपना संदेश भेज सकते हैं। लेकिन एक समय था जब इत्मीनान से बैठकर अपने शब्दों को अहसासों के धागों में पिरोकर पोस्ट कार्ड से उन्हें अपने प्रियजनों के पास भेजा जाता था और न जाने कितने घरों में बेसब्री से पोस्ट कार्ड का इंतजार होता था। पोस्ट कार्डों की इस खूबसूरत दुनिया को आज 148 साल हो गए हैं। दुनिया में सबसे पहली बार 1 अक्तूबर, 1869 में आस्ट्रिया में पोस्ट कार्ड की पहली प्रति जारी किए जाने का वर्णन मिलता है। वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार पोस्ट कार्ड का विचार सबसे पहले आस्ट्रियाई प्रतिनिधि कोल्बेंस्टीनर के दिमाग में आया था जिन्होंने इसके बारे में वीनर न्योस्टॉ में सैन्य अकादमी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. एमैनुएल हर्मेन को बताया। उन्हें यह विचार काफी आकर्षक लगा और उन्होंने 26 जनवरी, 1869 को एक अखबार में इसके बारे में लेख लिखा। आस्ट्रिया के डाक मंत्रालय ने इस विचार पर बहुत तेजी से काम किया और पोस्ट कार्ड की पहली प्रति 1 अक्तूबर, 1869 में जारी की गई। यहीं से पोस्ट कार्ड के सफर की शुरुआत हुई।
दुनिया का पहला पोस्ट कार्ड पीले रंग का था जिसका आकार 122 मिलीमीटर लंबा और 85 मिलीमीटर चौड़ा था। इसके एक तरफ पता लिखने के लिए जगह छोड़ी गई थी जबकि दूसरी तरफ संदेश लिखने के लिए खाली जगह छोड़ी गई। आस्ट्रिया-हंगरी में पहले तीन महीने के दौरान करीब तीन लाख पोस्ट कार्ड बिक गए। आस्ट्रिया-हंगरी में पोस्ट कार्ड की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता से अन्य देशों ने भी पोस्ट कार्ड को अपनाया। इंग्लैंड में तो पहले ही दिन 5,75,000 लाख पोस्ट कार्ड बिक गए। भारत का पहला पोस्ट कार्ड 1879 में जारी किया गया। भारत के पहले पोस्ट कार्ड की कीमत तीन पैसे रखी गई थी। देश का पहला पोस्ट कार्ड हल्के भूरे रंग में छपा था। इस कार्ड पर ‘ईस्ट इंडिया पोस्ट कार्ड’ छपा था। बीच में ग्रेट ब्रिटेन का राजचिह्न मुद्रित था और ऊपर की तरफ दाएं कोने मे लाल-भूरे रंग में छपी ताज पहने साम्राज्ञी विक्टोरिया की मुखाकृति थी। समय के साथ पोस्ट कार्ड में कई तब्दीलियां हुईं।