एथलेटिक्सः उसेन बोल्ट युग से आगे निकलने का वक्त

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एथलेटिक्स उसेन बोल्ट युग से आगे बढ़ गया लेकिन भारत के लिए समय मानो थमा हुआ ही है। इस डोप कलंकित खेल में वैश्विक स्तर पर पदक जीतने के मामले में भारत की झोली खाली ही रही है। इतिहास के महानतम फर्राटा धावक और ‘शोमैन’ बोल्ट ने लंदन में विश्व चैंपियनशिप में फिनिशिंग लाइन को चूमकर खेल से विदा ली तो इसके साथ एक युग समाप्त हो गया। जमैका के 31 बरस के बोल्ट डोप कलंकित एथलेटिक्स में विश्वसनीयता का दूसरा नाम हो गए थे क्योंकि उनका पूरा करिअर बेदाग रहा। बोल्ट को 100 मीटर फाइनल में डोप कलंकित जस्टिन गैटलिन ने हराया। विश्व एथलेटिक्स के आला हुक्मरान सेबेस्टियन कू ने भी इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि गैटलिन पर प्रतिबंध लगना चाहिए था। इस सप्ताह फिर गैटलिन डोपिंग विवाद में फंस गए हैं।

बोल्ट के सुनहरे करिअर की आखिरी रेस निराशाजनक रही क्योंकि चार गुणा सौ मीटर रिले के बीच में मांसपेशी में खिंचाव आने के कारण उन्हें बाहर होना पड़ा। आठ ओलंपिक और 11 विश्व चैंपियनशिप स्वर्ण जीत चुके बोल्ट दर्द से कराहते हुए ट्रैक से विदा हुए और अपनी रेस भी पूरी नहीं कर सके। इससे यह भी साबित हुआ कि खेल कितना बेरहम हो सकता है हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब महानतम खिलाड़ियों की विदाई निराशाजनक रही हो। बोल्ट को महान मुक्केबाज मोहम्मद अली की श्रेणी में रखना विवाद का विषय हो सकता है लेकिन बेजिंग ओलंपिक 2008 के बाद से जमैका के इस धुरंधर ने अपनी रफ्तार और करिश्मे से खेलप्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर रखा था। भारत के परिप्रेक्ष में देखें तो कोई बदलाव नहीं हुआ है और भारतीय एथलीट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन की छाप छोड़ने में नाकाम रहे। अंजू बाबी जॉर्ज के 2003 के पेरिस विश्वचैंपियनशिप लंबी कूद के कांस्य के बाद से भारत की झोली खाली है।

लंदन में भालाफेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा 25 भारतीयों के दल में सबसे बड़ी पदक उम्मीद थे लेकिन जूनियर विश्व रेकार्डधारी चोपड़ा फाइनल दौर में भी नहीं पहुंच सके। देविंदर सिंह डार्कहार्स निकले और फाइनल में जगह बनाई हालांकि गांजे के सेवन का दोषी पाए जाने के कारण टीम में उनका चयन संदिग्ध था। वाडा की सूची में शामिल होने के बावजूद हालांकि इसमें स्वत: निलंबन का प्रावधान नहीं है। भारत के गोविंद लक्ष्मणन ने 5000 मीटर रेस में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।शॉटपुट में मनप्रीत कौर दो बार पाजीटिव पाई गई और इससे भुवनेश्वर में एशियाई चैंपियनशिप में भारत के शानदार प्रदर्शन की चमक थोड़ी कम हुई।

भारत बरसों से एशियाई एथलेटिक्स में बड़ी ताकत रहा है और भुवनेश्वर में एशियाई एथलेटिक्समें चीन को पछाड़कर पदक तालिका में शीर्ष पर रहना बड़ी उपलब्धि कही जाएगी। इस साल कई राष्ट्रीय रेकार्ड भी बने जबकि गोपी थोनाकल एशियाई मैराथन चैंपियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष बन गए। दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर चिंताओं के बावजूद सालाना हाफ मैराथन का आयोजन हुआ। डोपिंग के अलावा सुविधाओं का अभाव, योग्य कोचों का अभाव चिंता का सबब बना हुआ है लेकिन हालात बेहतर करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किए गए। आइएएएफ, एएफआइ और ओड़ीशा सरकार ने मिलकर भुवनेश्वर में हाई परफार्मेंस अकादमी की स्थापना की घोषणा की है।क्कभ्ख्र्शक्क ॰द्धत्र्क्क। ॰द्ध ुक्वभ्ख्र्ऽवक्कघै

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *