एनडीए को दूसरा झटका, टीडीपी के बाद एक और पार्टी ने छोड़ा साथ

केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने आज (24 मार्च को) तलाक दे दिया है। इस महीने एनडीए छोड़ने वाली यह दूसरी पार्टी है। इससे पहले तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने भी इसी महीने एनडीए छोड़ दिया था और बीजेपी पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया था। जीजीएम के नेता एल एम लामा ने शनिवार को एनडीए छोड़ने का एलान करते हुए कहा कि उनकी पार्टी का बीजेपी और एनडीए से कोई नाता नहीं रहा। उन्होंने गोरखा लोगों को धोखा देने का आरोप बीजेपी पर लगाया है। माना जा रहा है कि जीजेएम ने पश्चिम बंगाल बीजेपी प्रमुख दिलीप घोष के बयान से आहत होकर एनडीए छोड़ने का फैसला किया है।

लामा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहा करते थे कि गोरखा लोगों का जो सपना है वो हमारा सपना है लेकिन दिलीप घोष के बयान ने पीएम के इस बयान और बीजेपी की नीयत पर से पर्दा उठा दिया है। बता दें कि दिलीप घोष ने हाल ही में कहा है कि गोरखा जमनुक्ति मोर्चा से बीजेपी का सिर्फ चुनावी गठबंधन है। इसके अलावा इस पार्टी से किसी भी राजनीतिक मुद्दे पर कोई समझौता नहीं हुआ है। लामा के मुताबिक दिलीप घोष के इस बयान से गोरखा समुदाय अपने को ठगा महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोग ना तो गोरखा की समस्याओं के प्रति संवेदनशील हैं और ना ही सजग।

वर्ष 1986 में गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) के प्रमुख सुभाष घीसिंग ने जब अलग गोरखालैंड की मांग में हिंसक आंदोलन छेड़ा था। (फोटो-PTI)

लाना मे कहा कि हमने गठबंधन धर्म निभाते हुए पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग संसदीय सीट दो बार बीजेपी को उपहार में दे दी। साल 2009 में यहां से बीजेपी के जसवंत सिंह को और साल 2014 में एस एस अहलूवालिया को जीत दिलाई। लामा ने कहा कि दार्जिलिंग सीट पर बीजेपी उम्मीदवार को जिताने से हमें उम्मीद थी कि गोरखाओं की समस्याएं सुलझाने में बीजेपी मदद करेगी लेकिन बीजेपी ने ऐसा नहीं किया और बार-बार धोखा दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी की वजह से ही दार्जिलिंग और पहाड़ी इलाकों में अविश्वास का माहौल और उथल-पुथल है। बता दें कि गोरखा समुदाय लंबे समय से दार्जिलिंग समेत पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से में स्थित पहाड़ी इलाके को अलग गोरखालैंड राज्य बनाने की मांग करता रहा है। पिछले साल भी इसी मांग को लेकर जीएएम ने लंबे समय तक आंदोलन किया था।

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