एम्स में पूर्व सीवीओ का दावा- सीवीसी ने बंद किए एम्स के कई भ्रष्टाचार के मामले
भ्रष्टाचार के मामलों के खुलासे के लिए रमन मैगसायसाय अवॉर्ड से नवाजे जा चुके आइएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने दावा किया है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हुए भ्रष्टाचार के कई ऐसे मामले बंद कर दिए जिनमें कई वरिष्ठ अधिकारी कथित तौर पर शामिल थे। केंद्रीय सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी के खिलाफ जांच की मांग कर रहे संजीव ने अपने दावे के समर्थन में करीब 1,000 पन्नों के दस्तावेज हाल ही में राष्ट्रपति कार्यालय को भेजे हैं। उन्होंने राष्ट्रपति सचिवालय से सात मामलों का ब्योरा साझा किया है। इन सात मामलों में एक उस वक्त का है जब एम्स में मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) के पद पर संजीव की तैनाती के दौरान उन्हें कथित तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा था। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए सीवीसी की इकाई के तौर पर संजीव ने जुलाई 2012 से अगस्त 2014 तक एम्स में सीवीओ के रूप में सेवाएं दी थीं। वे अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के कई मामले सीबीआइ के संज्ञान में लाए। गहन जांच के बाद सीबीआइ ने सीवीसी की ओर से बंद किए जा चुके चार मामलों में विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की और उनमें अधिकारियों और वरिष्ठ शिक्षकों को नामजद किया । संजीव की ओर से सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के जरिए हासिल किए गए दस्तावेजों से यह खुलासा हुआ है। सतर्कता नियमावली के मुताबिक, आपराधिक पहलू वाले भ्रष्टाचार के मामले संगठन के सीवीओ की ओर से पहले सीबीआइ को भेजे जाते हैं। विभागीय कार्रवाई के मामलों पर सीवीसी के निर्देश के आधार पर कार्रवाई की जाती है । सीवीसी ने अपने जवाब में कहा कि हर मामले में रिपोर्ट का परीक्षण किया गया और उचित स्तर पर इसे तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया गया ।