एम्‍बामिंग सर्टिफिकेट में श्रीदेवी की उम्र 52 साल: शव लेपन में सिराजुल ने की मदद, अशरफ ने किया रिसीव

शव लेपन सर्टिफिकेट जारी होने के साथ ही दुबई में 24 फरवरी को हुई श्रीदेवी की मौत के बाद शुरू हुई कानूनी प्रक्रिया खत्‍म हो गई है। अब मुंबई पहुंचने पर उनका अंतिम संस्‍कार किया जाएगा। बॉलीवुड एक्‍ट्रेस श्रीदेवी की मौत से जुड़ी जांच दुबई में पूरी हो गई है। कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद उनके शव पर लेप लगा कर ताबूत में बंद किया गया और एंबुलेंस के जरिए एयरपोर्ट भेज दिया गया। एम्‍बामिंग सर्टिफिकेट के मुताबिक श्रीदेवी बोनी कपूर की उम्र 52 साल बताई गई है (जबकि सार्वजनिक रूप से उपलब्‍ध जानकारी के मुताबिक श्रीदेवी 54 साल की थीं) । 24 फरवरी की रात दुर्घटनावश डूब जाने से उनकी मौत बताया गया है। यही कारण पोस्‍टमॉर्टम और फोरेंसिक रिपोर्ट में भी बताया गया है। एम्‍बामिंग सर्टिफिकेट में इस प्रक्रिया में मददगार के तौर पर एन. सिराजुल हक का नाम लिखा गया है, जबकि प्रक्रिया पूरी होने के बाद शव रिसीव करने वाले का नाम अशरफ लिखा गया है। यह प्रक्रिया मुहाइसनाह स्‍थित मेडिकल फिटनेस सेंटर में पूरी की गई। इसके बाद शव परिवार के हवाले कर दिया गया।

शव का लेपन मृत्यु के बाद शरीर को सड़ने से बचाने के लिए किया जाता है। इसके कई तरीके हैं, जिनका इंसानी इतिहास में हजारों सालों से इस्तेमाल हो रहा है। इसके तहत, शरीर से खून और गैस आदि निकालकर कुछ विशेष तरह का द्रव भरा जाता है। मकसद शरीर के खराब होने की प्रक्रिया को अस्थाई तौर पर धीमा कर देना है। यह विकल्प मृतक के परिजन उस वक्त चुनते हैं, जब अंतिम संस्कार के पारंपरिक तौर तरीकों के तहत शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाता है। शव के लेपन के दो तरीके प्रचलित हैं। एक आर्टिरियल और दूसरा कैविटी। आर्टिरियल प्रक्रिया के तहत शव से खून को निकालकर कुछ विशेष तरल पदार्थ भरा जाता है। वहीं, कैविटी प्रक्रिया के तहत पेट और सीने के हिस्से को साफ करके उसमें तरल डाला जाता है। शव का लेपन करने से पहले उसे पहले कीटाणुनाशक तरल से धोया जाता है। इसके बाद, शरीर पर मसाज किया जाता है ताकि मृत्यु के बाद शव में आने वाले अकड़न को खत्म किया जा सके।


लेपन की प्रक्रिया में शरीर में डाले जाना वाला तरल फॉर्म एल्डिहाइड, ग्लूटेराएल्डिहाइड, मेथेनॉल, ऐथेनॉल, फिनॉल और पानी का मिश्रण होता है। इस बाद, शव को दर्शनीय बनाने के लिए उसे कपड़े पहनाए जाते हैं। बाल बनाए जाते हैं और मेकअप आदि भी किया जाता है। शव का लेपन तब भी जरूरी होता है, जब उसे प्लेन, ट्रेन या समुद्री जहाज के जरिए एक राज्य से दूसरे राज्य या एक देश से दूसरे देश भेजना होता है। इसके अलावा, मृत्यु और अंतिम संस्कार के बीच कम से कम एक हफ्ते का फर्क हो। लेपन की प्रक्रिया पूरी करने के लिए 45 मिनट से एक घंटे का वक्त लगता है। अगर शव को कपड़े पहनाने हैं या उसे ताबूत में रखना हो तो और ज्यादा वक्त लग जाता है। इसका खर्च 500 डॉलर से 1300 डॉलर तक हो सकता है।  कानूनी दृष्टिकोण से भी शव का लेपन कई बार जरूरी होता है।

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