एशियाई खेल 2018: पदक तालिका में ऊपर चढ़ सकता है भारत

चीन, जापान और कोरिया एशिया की खेल महाशक्तियां हैं। कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और उज्बेकिस्तान के आने से चुनौती और कड़ी हुई है। कुछ खेलों में तो मुकाबला विश्वस्तरीय है। कुछ में हम परंपरागत रूप से मजबूत नहीं रहे हैं। ऐसे खेलों में भी स्तर सुधरना शुभ संकेत है। ऐसा ही एक खेल है जिमनास्टिक। करीब दो साल पहले रियो ओलंपिक में दीपा कर्मकार ने कमाल के प्रदर्शन से सुर्खियां बटोरी थीं। हालांकि ओलंपिक के बाद चोट और फिर सर्जरी ने उन्हें खेलों से दूर कर दिया था। इसी के चलते वह राष्ट्रमंडल खेलों में भी शिरकत नहीं कर पार्इं। त्रिपुरा की 24 साल की इस जिमनास्ट ने हाल ही में तुर्की में आर्टिस्टक जिमनास्टिक वर्ल्ड चैलेंज कप की वाल्ट स्पर्धा में गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया। दीपा का विश्वस्तरीय प्रतियोगिता में यह पहला गोल्ड है। ऐसी उपलब्धि से जुड़ने वाली वह देश की पहली महिला जिमनास्ट हैं।

एशियाई खेलों की हॉकी प्रतियोगिता का खास महत्व है। चैंपियन बनने का सबसे बड़ा फायदा होगा कि 2020 के तोक्यो ओलंपिक में सीधे प्रवेश मिल जाएगा। श्रेष्ठता की जंग भारत, पाकिस्तान, कोरिया और मलेशिया के बीच ही रहने की संभावना है। यों एशियाई खेलों के 67 वर्षीय इतिहास में भारत को हॉकी में केवल तीन स्वर्ण पदक नसीब हुए हैं। वह भी लंबे अंतराल पर। 1966 के बाद 1998 और 2014 में भारत चैंपियन बना। भारतीय टीम अच्छी फॉर्म में है और सबसे बेहतर रैंकिंग वाली टीम होने के नाते भारत का दावा मजबूत है। हाल ही में ब्रेडा में चैंपियंस ट्रॉफी में बढ़िया प्रदर्शन से लगातार दूसरी बार रजत पदक जीतना खिलाड़ियों की मानसिक मजबूती को भी दर्शाता है। भारतीय टीम के पूर्व कोच रोलेंट ओल्टमैंस अब पाक टीम को प्रशिक्षण दे रहे हैं। वह भारत की ताकत और कमजोरियों से वाकिफ हैं और रणनीति बनाकर भारत को परेशान कर सकते हैं। पर पाक और कोरिया दोनों ही अब पहले जितनी मजबूत टीमें नहीं रहीं। मलेशिया में भी उलटफेर करने का माद्दा है। पिछले साल एशिया कप जीतने वाली महिला हॉकी टीम से भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।

रिकर्व में दीपिका और अतनु पर निगाहें

पिछले एशियाई खेलों में भारत ने कंपाउंड वर्ग के चारों स्वर्ण पदक झटके थे। लेकिन इस बार व्यक्तिगत केटेगरी समाप्त कर दी गई है। मिश्रित स्पर्धा को शामिल किया गया है। भारत की नजरें तीनों गोल्ड जीतने पर रहेंगी। अभिषेक वर्मा, ज्योति और तृषा अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। रिकर्व में दीपिका कुमारी और अतनु दास विश्वस्तरीय तीरंदाज हैं और पदक झटक सकते हैं।

सानिया के नहीं होने का होगा नुकसान

टेनिस में सानिया मिर्जा के नहीं रहने का भारत को नुकसान होगा। खासतौर पर मिश्रित युगल का पदक तो गया। पुरुष युगल में रोहन बोपन्ना कंधे के दर्द से उबरकर लौटेंगे। उनके जोड़ीदार दिविज शरण होंगे। यह जोड़ी कितनी सफल होगी, समय ही बताएगा। लिएंडर पेस भी दल में हैं। शायद सुमित नागल उनके जोड़ीदार होंगे।

स्क्वैश में हांगकांग की चुनौती

स्क्वैश में पिछले एशियाड में भारत को गोल्ड मिला था। सौरव घोषाल की अगुआई वाली टीम में सिर्फ एक बदलाव हुआ है। लेकिन इस बार हांगकांग की टीम सबसे मजबूत है। जोशना चिनप्पा और दीपिका पल्लीकल से भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। तैराकी में संदीप सेजल पदक का रंग बदलने का इरादा बनाए हैं। पिछले खेलों में उन्होंने 50 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक में कांस्य पदक जीता था। वीरधवल खाडे से भी बढ़िया प्रदर्शन की आस है।

नीरज और सीमा से पदक की आस

थ्रो स्पर्धा में सीमा और नीरज चोपड़ा से भी उम्मीद रखी जा सकती है। जेवलिन में 87.43 मीटर का राष्ट्रीय रेकार्ड नीरज के नाम है जो उन्होंने मई, 2018 में दोहा में डायमंड लीग के दौरान बनाया था। तब वह चौथे स्थान पर रहे थे। अंडर-20 में विश्व रेकार्डधारी नीरज राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण विजेता हैं। शॉटपुट में तेजिंदर से भी काफी उम्मीदें हैं। फरार्टा दौड़ में दुति चंद से भी पदक की उम्मीद है। 11.29 सेकंड का उनका सर्वश्रेष्ठ समय भारत को गोल्ड भी दिला सकता है। 4गुणा400 मीटर में पुरुष, महिला और मिक्स्ड रिले में भी स्वर्ण की उम्मीद है।

हिमा से गोल्डन जीत की उम्मीद

एथलेटिक्स में निगाहें नई उड़नपरी हिमा दास पर रहेंगी। हिमा ने पिछले माह फिनलैंड में अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप में 400 मीटर दौड़ जीतकर तहलका मचाया। ट्रैक पर विश्व चैंपियनशिप में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाली वह पहली एथलीट हैं। ट्रैक पर टिंटू लुका और जिंसन जॉनसन भी पदक ला सकते हैं। जिंसन ने 800 मीटर में कुछ समय पहले श्रीराम सिंह का 42 वर्षीय पुराना रेकार्ड तोड़ा था जो उन्होंने 1976 के मांट्रियल ओलंपिक में बनाया था।

कुश्ती से भी चार-पांच पदक की उम्मीद

कुश्ती में भी चार-पांच मेडल मिलने की उम्मीद है। सुशील जॉर्जिया में ट्रेनिंग कर रहे हैं। बाकी पहलवानों की ट्रेनिंग अच्छी हुई है। हालांकि ईरान, इराक, कोरिया, चीन, जापान, मंगोलिया, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान के पहलवानों से पार पाकर पदक हासिल करना चुनौतीपूर्ण होगा। सुशील, बजरंग, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक को पदक मिल सकता है।

मनु से स्वर्णिम निशाने की उम्मीद

अपूर्वी चंदेला, हीना सिद्धू, मनु भाकर, मानवजीत संधू और संजीव राजपूत सटीक निशानेबाजी से पदक दिला सकते हैं। घुड़सवारी और गोल्फ में पदक मिल सकता है। मुक्केबाजी में भी पदक मिल सकते हैं। शिव थापा से उम्मीदें हैं। विकास कृष्णा और मनोज कुमार से भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। नौकायन और केनोइंग से भी पदक मिल सकता है। हालांकि हैंडबॉल, बास्केटबॉल, वालीबॉल, स्पोर्ट्स क्लाइंविंग, बॉलिंग, रोलर स्केटिंग, सेपक तकरा में उम्मीदें कम ही हैं। वुशु, ताइक्वोंडो, सॉफ्ट टेनिस, ब्रिज, तलवारबाजी में भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।

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