एससी/एसटी कानून के तहत स्वत: गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट की रोक का मामला, सरकार दायर करेगी समीक्षा याचिका

सरकार सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अगले हफ्ते समीक्षा याचिका दायर करके अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कथित उत्पीड़न के मामले में स्वत: गिरफ्तारी और मामला दर्ज किए जाने पर रोक लगाने वाले उसके आदेश को चुनौती देगी। सरकारी सूत्रों ने बताया कि शीर्ष विधि अधिकारी लगातार सामाजिक न्याय मंत्रालय के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं ताकि विश्वसनीय समीक्षा याचिका तैयार की जा सके। समीक्षा याचिका अगले बुधवार तक दायर की जाएगी क्योंकि तब तक समीक्षा के लिए आधार तैयार हो जाएंगे।
इस बीच, विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को कहा कि सरकार ने अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अधिनियम (एससी/एसटी कानून) के संबंध में नए मानदंड निर्धारित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर गौर किया है।

उन्होंने कहा- मैंने पहले ही अपने मंत्रालय को समीक्षा याचिका दायर करने की जरूरत पर विचार करने का निर्देश दिया है। आगे की उचित कार्रवाई की जा रही है। शीर्ष अदालत ने अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम, 1989 के तहत स्वत: गिरफ्तारी और आपराधिक मामला दर्ज किए जाने पर हाल में रोक लगा दी थी। यह कानून भेदभाव और अत्याचार के खिलाफ हाशिए पर रहने वाले समुदायों की रक्षा करता है।

लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान और केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत के नेतृत्व में राजग के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने एससी- एसटी अत्याचार रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों को नरम बनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चर्चा के लिए बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी।

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