ओवैसी बोले- सुविधा की राजनीति करती है भाजपा, असमी पहचान जरूरी तो कश्मीरी पहचान पर मौन क्यों?

असम में एनआरसी में 40 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं होने को लेकर एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र की भाजपा सरकार पर हमला करते हुए आज आरोप लगाया कि वह सुविधा और पहचान की राजनीति कर रही है। वह असमी पहचान को तो बकरार रखना चाहती है लेकिन कश्मीरी पहचान को नहीं।उनकी यह टिप्पणी असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के अंतिम मसौदे के प्रकाशित होने के बाद आई है। एनआरसी के अंतिम मसौदे के सामने आने के बाद भाजपा और विपक्ष में वाकयुद्ध चल रहा है।
एनआरसी का मसौदा 30 जुलाई को प्रकाशित हुआ था जिसमें 40 लाख से ज्यादा लोगों के नाम नहीं हैं।

हैदराबाद के सांसद ने सोशल नेटर्विकंग साइट पर लिखा, ‘‘ भाजपा 40 लाख लोगों की पहचान की कुर्बानी की कीमत पर असमी पहचान को बरकरार रखना चाहती है… लेकिन कश्मीर में भाजपा कश्मीरी पहचान को कमजोर करने के लिए अनुच्छेद 35 को रद्द करना चाहती है?’’ उन्होंने कहा कि भाजपा सुविधा और पहचान की राजनीति कर रही है। पार्टी को राजनीतिक रूप से जहां जो सही लगता है वहां वह वो कर रही है। ओवैसी संविधान के अनुच्छेद 35ए का हवाला दे रहे थे जो जम्मू कश्मीर विधानमंडल को राज्य के स्थायी नागरिकों और उनके विशेष अधिकारों को परिभाषित करने का अधिकार देता है।

गौरतलब है कि नीतीश आए दिन ही बीजेपी को निशाना बना रहे हैं। कुछ दिन पहले ही उन्होंने बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा था।  ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था  2019 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशना साधा। उन्होंने कहा, “पिछले विधानसभा चुनाव में नीतीश ने एआईएमआईएम को वोटकटवा पार्टी बताया था, मगर आज वह उसी भाजपा के नरेंद्र मोदी की गोद में जा बैठे, जिन्हें बिहार की सत्ता में आने से रोकने के लिए उन्होंने लोगों से वोट लिए थे।”

किशनगंज के ठाकुरगंज में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने ऐलान किया था कि एआईएमआईएम किशनगंज से लोकसभा चुनाव लड़ेगी और पार्टी के उम्मीदवार अख्तरुल ईमान होंगे। इससे पहल, संवाददाताओं से मुखातिब ओवैसी ने शरीयत अदालत का विरोध करने वालों को गलत बताते हुए कहा कि यह कहीं से समानांतर अदालत नहीं है।

उन्होंने कहा, “पिछले 25 सालों से यहां शरीयत अदालतें हैं, जहां काजी नियुक्त हैं। यहां से लोगों को न्याय मिलता है। अगर दोनों पक्षों को कोई आपत्ति है तो अदालत के दरवाजे खुले हैं, वहां जा सकते हैं। ओवैसी ने कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों को भी निशाने लेते हुए कहा कि आजादी के बाद से इस सीमांचल क्षेत्र की उपेक्षा की गई है। उन्होंने कहा कि यहां के लोगों से वोट लेकर हमेशा ठगा गया है।

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